टेक्नो इंडिया ग्रुप के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक तथा सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय के चांसलर श्री सत्यम रॉयचौधरी को इटली के ट्यूरिन की प्रसिद्ध अल्बर्टिना एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स द्वारा 2024 के मानद शिक्षाविद की बेहद प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित किया गया है। कोलकाता में आज इससे जुड़ा एक खास कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह हमारे लिए एक बेहद गौरव का पल है, क्योंकि इस प्रतिष्ठित यूरोपीय सम्मान को प्राप्त करने वाले श्री रॉयचौधरी पहले भारतीय हैं। यह सम्मान मिनिस्ट्री ऑफ यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च (MIUR) के अंतर्गत आने वाले इटली के प्रमुख सरकारी संस्थानों में से एक द्वारा प्रदान किया गया है। श्री रॉयचौधरी द्वारा ने बीते 40 वर्षों में शिक्षा एवं कला के संरक्षक के रूप में बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके इसी प्रयास को सम्मानित करने के लिए एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में, मुख्य अतिथि के रूप में कोलकाता में इटली के माननीय कॉन्सुल जनरल रिकार्डो डल्ला कोस्टा एवं अल्बर्टिना एकेडेमी के गणमान्य सदस्यों के साथ कई प्रतिष्ठित हस्तियां उपस्थित रहीं।
चांसलर को बधाई देते हुए सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) ध्रुबज्योति चट्टोपाध्याय ने कहा, “यह न केवल सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय बल्कि पूरे देश के लिए एक बेहद गर्व का क्षण है। श्री सत्यम रॉयचौधरी को प्रतिष्ठित अल्बर्टिना एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स द्वारा 2024 के मानद शिक्षाविद के रूप में दिया गया यह सम्मान उनके दूरदर्शी नेतृत्व एवं शिक्षा तथा समाज के क्षेत्र में उनके खास योगदान का प्रमाण है।
उनकी यह उपलब्धि हम सभी को कुछ बेहतर करने का प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है, इसी के साथ ही विश्वस्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में भारत की बढ़ती उपस्थिति को और मजबूती प्रदान करती है।” पुरस्कार प्राप्त करते हुए टेक्नो इंडिया ग्रुप के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक तथा सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय के चांसलर श्री सत्यम रॉयचौधरी ने कहा, “इस ऐतिहासिक संस्थान से यह सम्मान पाकर मैं बहुत खुश हूं। यह सम्मान प्राप्त करना मेरे लिए सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह सम्मान जीवन में बदलाव लाने एवं वैश्विक संबंधों को मजबूत बनाने में शिक्षा की शक्ति को प्रदर्शित करता है। यह सम्मान मैं हमारे संस्थान के पूरे समुदाय को समर्पित करता हूँ, जिन्होंने मुझे अटूट समर्थन दिया है और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। यह सम्मान भारतीय शिक्षा जगत की बेमिसाल क्षमता और विश्व स्तर पर हमारी कला के संरक्षण को लेकर मेरे विश्वास को और मजबूती प्रदान करता है।”