भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है। विदेशी मुद्रा बाजार में, रुपए में पच्चीस (२५) पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिसके बाद यह प्रति अमेरिकी डॉलर नब्बे दशमलव सात चार (९०.७४) के ऐतिहासिक निचले स्तर पर बंद हुआ। इस तेज गिरावट ने निवेशकों की भावनाओं को और कमजोर कर दिया, जो बाजार में व्याप्त जोखिम से बचने के मौजूदा माहौल को दर्शाती है। यह लगातार दूसरा दिन था जब रुपए ने एक नया सर्वकालिक निचला स्तर छुआ।
बाजार विशेषज्ञों और फॉरेक्स व्यापारियों के अनुसार, रुपए में इस भारी गिरावट के लिए मुख्य रूप से कई कारण जिम्मेदार हैं। इनमें सबसे बड़ा कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से लगातार पूंजी का बहिर्वाह है। इसके अतिरिक्त, आयातकों की ओर से अमेरिकी डॉलर की मज़बूत और लगातार मांग ने भी रुपए पर दबाव बढ़ाया। साथ ही, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका (यू.एस.ए.) के बीच व्यापार शुल्क (टैरिफ) को लेकर लंबे समय से चल रही अनिश्चितता और एक निर्णायक व्यापार समझौते की कमी ने भी रुपए को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
