बंगाली किचन की हाल हकीकत पर सेवानिवृत्त शिक्षक का पैरोडी गीत

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बाजार में नकदी फसलों का मूल्य बढ़ रहा है। इसके अलावा, अदरक, मिर्च, टमाटर खाना पकाने के लिए रसोई में एक विशेष स्थान रखते हैं। लेकिन इनकी बढ़ती कीमतों से गृहणियां परेशानी में हैं। पुलिस प्रशासन के अधिकारी विभिन्न बाजारों में पूछताछ कर चुके हैं।
शिक्षक ने अपने शब्दों में कहा कि मैं किसी राजनीतिक दल का वक्ता नहीं हूं। मेरा काम लोगों को खुश करने के लिए है। इसलिए वर्तमान स्थिति को देखते हुए, इस गीत को लिखने के अलावा मेरी कोई अन्य महत्वाकांक्षा नहीं है।इस पैरोडी को गाकर वह हर रसोई का सच उजागर करने और लोगों को खुशी देकर खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। वह फिलहाल कुछ महीनों के लिए कोलकाता में हैं।बांग्ला पैरोडी गानों की धुन में उन्होंने बाजार की मौजूदा स्थिति पर प्रकाश डाला है। पढ़ाते समय वे कुछ गीत लिखते थे और वे गीत अतीत के पैरोडी गीतों की लय में होते थे। लेकिन जब यह नकदी फसलों की कीमत बाजार में बढ़ रही थी, तब जलपाईगुड़ी निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक सचितानंद घोष ने रसोई की मौजूदा स्थिति पर एक तीखी कविता लिखी। जिसके कारण वे इनदिनों काफी चर्चा में हैं।