जमीन समस्या में फंसी पश्चिम बंगाल की कई रेल परियोजनाओं को लेकर रेल मंत्री ने पिछले गुरुवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इस सूची में कालियागंज-बुनियादपुर (34 किमी), गाजोल-इटाहार। (27 किमी), इटाहार-बुनियादपुर (27 किमी), रायगंज-इटाहार (22 किमी), नई रेलवे परियोजना शामिल हैं। मालदा और दो दिनाजपुर के बीच ये चार नई रेलवे परियोजनाएं पूरी होने पर इन तीन जिलों के निवासियों को काफी फायदा होगा। खासकर बालुरघाट, गंगारामपुर, बुनियादपुर, कुशमंडी, हरिरामपुर, इटाहार, कालियागंज, हेमताबाद और रायगंज को सुगम रेल कनेक्टिविटी मिलेगी। ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते उनके कार्यकाल में कालियागंज-बुनियादीपुर और दिवंगत रेल मंत्री गनीखान चौधरी के कार्यकाल में गाजोल- गुंजरिया-इटाहार-रायगंज रेलवे परियोजना शुरू की गई थी। इसमें कालियागंज-बुनियादीपुर नई रेलवे के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई थी। यहां तक कि कालियागंज में श्रीमती नदी और बालुरघाट रोड पर रेलवे पुल संरचना का निर्माण भी किया गया था। कुशमंडी में कालिकामर्रा के पास काम शुरू किया गया था। लेकिन जमीन देने वाले परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और उपयुक्त मुआवजे की मांग को लेकर 2012 में शुरू हुए आंदोलन के कारण काम रुक गया था। इटाहार-बुनियादिपुर, गाजोल-इटाहार और रायगंज-इटाहार के रेलवे परियोजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया। ऐसे में जमीन की समस्या को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री को भेजे गए रेल मंत्री के पत्र में इन रेल परियोजनाओं का जिक्र किया गया है, जिससे गौड़ बंगालवासियों को उम्मीद फिर एक बार जगी है।