पंचायत चुनाव शुरू होते ही पूरे राज्य से हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। वहां पहाड़ों में बिल्कुल उलट तस्वीर है। पहाड़ों पर सुबह से ही हल्की और मध्यम बारिश शुरू हो गई। लेकिन बारिश शुरू होने के बावजूद पहाड़वासी उत्सव के मूड में मतदान करते नजर आ रहे हैं। इसका कारण है कि 22 साल बाद पहाड़ में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। वो भी दो-स्तरीय नहीं, तीन-स्तरीय। पहाड़ का राजनीतिक समीकरण भी राज्य के समीकरण से काफी अलग है। वहां लड़ाई मुख्य रूप से भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा और तृणमूल कांग्रेस गठबंधन की मुख्य विपक्षी भाजपा सहित आठ क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के गठबंधन के साथ है। पिछले पंचायत चुनाव में पहाड़ों पर जीएनएलएफ का स्पष्ट दबदबा था। और अब हिल रश अनित के बीजीपीएम के हाथों में है। लेकिन पंचायत चुनाव में सत्ता किसकी होगी ये देखने वाली बात होगी।