सुल्तानगंज से रोज एक लाख लीटर गंगाजल जाएगा देवघर

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इस बार सावन में रोज एक लाख लीटर गंगाजल सुल्तानगंज से देवघर जाएगा। दरअसल, बिहार होकर झारखंड के रास्ते बंगाल की खाड़ी में मिलने वाली पावन नदी गंगा भागलपुर को छूकर जाती है। भागलपुर का सौभाग्य रहा कि उत्तरवाहिनी गंगा यहां दो जगह से गुजरती है। पहला सुल्तानगंज में अजगैबीनाथ पहाड़ी और दूसरा कहलगांव के बटेश्वर स्थान के पास। इनमें सुल्तानगंज के पास से बहने वाली उत्तरवाहिनी गंगा का विशेष महत्व है। दशकों से शिवभक्त सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर कांवर यात्रा करते हुए झारखंड स्थित देवघर में बाबा वैद्यानाथ ज्योतिलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। लेकिन कई श्रद्धालु बटेश्वर स्थान के पास से ही गंगाजल लेकर झारखंड बॉर्डर के कई शिवलिगों पर जलाभिषेक करते हैं।इस बार 22 जुलाई से 19 अगस्त तक श्रावणी मेला चलेगा। इसमें करीब 50 लाख कांवरियों द्वारा गंगाजल उठाने की संभावना है।

बाबा अजगैबीनाथ मंदिर के महत प्रेमानंद गिरी मानते हैं कि सिर्फ सावन में सुल्तानगंज से करीब 30 लाख लीटर गंगाजल ले जाकर झारखंड में बाबा वैद्यानाथ के ज्योतिलिंगस बढ़ाया जाता है। इसके अलावा गंगाजल में में ले जाते हैं।सुल्तानगंज से रोज एक लाख लीटर गंगाजल जाएगा देवघर भागलपुर, बसे। इस बार सावन में रोज एक लाख लीटर गंगाजल सुल्तानगंज से देवघर जाएगा। दरअसल, बिहार होकर झारखंड के रास्ते बंगाल की खाड़ी में मिलने वाली पावन नदी गंगा भागलपुर को छूकर जाती है। भागलपुर का सौभाग्य रहा कि उत्तरवाहिनी गंगा यहां दो जगह से गुजरती है। पहला सुल्तानगंज में अजगैबीनाथ पहाड़ी और दूसरा कहलगांव के बटेश्वर स्थान के पास। इनमें सुल्तानगंज के पास से बहने वाली उत्तरवाहिनी गंगा का विशेष महत्व है।

दशकों से शिवभक्त सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर कांवर यात्रा करते हुए झारखंड स्थित देवघर में बाबा वैद्यानाथ ज्योतिलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। लेकिन कई श्रद्धालु बटेश्वर स्थान के पास से ही गंगाजल लेकर झारखंड बॉर्डर के कई शिवलिगों पर जलाभिषेक करते हैं। इस बार 22 जुलाई से 19 अगस्त तक श्रावणी मेला चलेगा। इसमें करीब 50 लाख कांवरियों द्वारा गंगाजल उठाने की संभावना है। बाबा अजगैबीनाथ मंदिर के महत प्रेमानंद गिरी मानते हैं कि सिर्फ सावन में सुल्तानगंज से करीब 30 लाख लीटर गंगाजल ले जाकर झारखंड में बाबा वैद्यानाथ के ज्योतिलिंगस बढ़ाया जाता है। इसके अलावा गंगाजल में में ले जाते हैं।