जलपाईगुड़ी (न्यूज़ एशिया ): आज गणेश चतुर्थी का महापर्व है। जलपाईगुड़ी में सुबह से ही श्री गणेश की पूजा-अर्चना शुरू हो गई है. शंख ध्वनि के साथ ढाक की आवाज हर जगह सुनाई दे रही है. जलपाईगुड़ी शहर गणेश चतुर्थी पर ‘गणपति बप्पा मोरया’, की आवाज से गूंज रहा है । एक तरफ जहाँ विभिन्न क्लब और संगठनों की और से गणेश पूजा आयोजित किया गया है, तो दूसरी तरफ लोग अपनी घरों में भी गजानन की पूजा धूमधाम से कर रहे है. सुबह से मंदिर में भी श्री गणेश की पूजा हो रहे है, मंदिरों को भव्य रूप से सजाया गया है. गणेश चतुर्थी पर बच्चे, युवा और बूढ़े हर कोई खुशी मना रहा है।आपको बता दें कि हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी के पर्व का विशेष महत्व होता है।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि खास होती है क्योंकि गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणपति का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्न काल में हुआ था। सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है और हिंदू देवी-देवताओं में सबसे प्रसिद्ध और ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं। भगवान गणेश के कई नाम हैं जैसे गणपति, लंबोदर, विनायक, गजानन सुखकर्ता और विन्घहर्ता आदि। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान गणेश की पूजा और स्थापना के लिए मध्याह्र काल सबसे अच्छा होता है। देशभर में गणेश उत्सव का पर्व 10 दिनों तक चलेगा और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करके विदाई दी जाएगी।
वहीं दूसरी ओर जलपाईगुड़ी शहर में छोटी-बड़े क्लबों और संगठनों ओर से पूजा का आयोजन किया गया है. जलपाईगुड़ी भूपति समूह की और से जलपाईगुड़ी में इस बार भव्य पंडाल का निर्माण किया गया है. इस बार वे एक काल्पनिक मंदिर की शैली में एक विशाल पूजा आयोजित किया गया है। पूजा का उद्घाटन शुक्रवार की रात को किया गया. उद्घाटन समारोह में स्थानीय पार्षद तपन बनर्जी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे. इस बार भी गणेश प्रतिमा भी विशाल बनाई गई है। भूपति समूह की पूजा देखने के लिए जलपाईगुड़ीवासी और उत्तर बंगाल के लोग उमड़ पड़े है ।