एमएसडीई ने जेंडर पर आधारित हिंसा के खिलाफ ‘अब कोई बहाना नहीं’ का संकल्प लिया

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‘16 डेज ऑफ एक्टिविज्म अगेंस्ट जेंडर बेस्ड वॉइलेंस’ वार्षिक कैंपेन के अनुसार, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने आज कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के तहत अपने अधिकारियों के लिए दो दिवसीय कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम शुरू किया। उद्घाटन सत्र एमएसडीई के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी, मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र महिला प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर, एमएसडीई के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “आज आयोजित किए जा रहे कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम प्रत्येक अधिकारी को कार्यस्थल पर उचित आचरण करने के लिए जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण हैं।

यह आवश्यक है कि सभी कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण कार्यस्थल संस्कृति का हिस्सा बने।” उन्होंने इस संबंध में गठित समिति के सदस्यों को समीक्षा बैठकों को नियमित करने और एक्ट की लर्निंग के भाव को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया।” सुश्री कांता सिंह, डिप्टी कंट्री रिप्रेजेंटेटिव, यूएन वूमेन इंडिया ऑफिस, ने मंत्रालय में महिलाओं के लिए सक्षम वातावरण की सुविधा के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए एमएसडीई के प्रयासों और इसकी समर्पित प्रतिबद्धता की सराहना की। संयुक्त राष्ट्र महिला अधिकारी ने अपने पूरे स्टाफ के लिए व्यापक कैपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग आयोजित करने वाले पहले मंत्रालयों में से एक होने के लिए एमएसडीई की सराहना की। सुश्री सिंह ने महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के गहरे प्रभाव को रेखांकित किया और मानसिक कल्याण पर इसके प्रभावों और फ्यूचर वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी में बाधा डालने की इसकी क्षमता को भी रेखांकित किया।

मंत्रालय के अधिकारियों ने लिंग आधारित हिंसा को रोकने के लिए चार शक्तिशाली शब्दों – ‘अब कोई बहन नहीं’, की प्रतिज्ञा भी ली। दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत, न केवल यौन उत्पीड़न की स्पष्ट परिभाषा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा बल्कि शिकायत प्रक्रिया कैसे काम करती है इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। यह पहल महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल बनाने के लिए सक्रिय कदम उठाने के एमएसडीई के प्रयास का एक हिस्सा है और देश के समावेशी विकास के लिए महिलाओं को आर्थिक एजेंटों और समान भागीदारों के रूप में सशक्त बनाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।