ठंड आते ही बाणेश्वर के शिव देघी में मोहन ( विशाल प्रजाति का कछुआ) की मौत शुरू हो गयी। स्थानीय निवासियों को आज सुबह मोहन का शव मिला। वन विभाग के कर्मचारी मृत विशाल कछुआ को ले गए। इधर एक मोहन की मौत के साथ ही कई मोहन बीमार पड़ गये हैं। मोहन रक्षा समिति ने मोहन की मौत को लेकर प्रशासन की उदासीनता की शिकायत की है। अक्टूबर 2022 में भी मोहन की मौत शुरू हुई थी। उस दौरान कई मोहनों की मृत्यु के बाद, प्रशासन ने उपचार करना शुरू कर दिया और पंप लगाकर तालाबों से ठंडे पानी निकालना शुरू कर दिया और मोहनों के रहने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया। फलस्वरूप मोहन की मृत्यु रुक गयी। मोहन रक्षा समिति का आरोप है कि शिवदीघी के पानी की गहराई करीब 20 फीट है। ऊपर का पानी गर्म है जबकि तालाब के नीचे का पानी काफी ठंडा है। पानी की गहराई अधिक होने के कारण जल निकासी की समस्या होती है। पिछले वर्ष सर्दियों में पानी पंप करके पानी की गहराई नौ से दस फीट तक बढ़ाई गई थी। तालाब को मिट्टी से भरने और तालाब की गहराई कम कर फिर से पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया। लेकिन प्रशासन ने बिना मोहन रक्षा समिति से चर्चा किये तालाब में मिट्टी डाले बिना ही तालाब में पानी छोड़ दिया। नतीजा यह हुआ कि इस सर्दी में मोहन की मौत का दौर फिर शुरू हो गया है। मोहन रक्षा समिति के अध्यक्ष परिमल बर्मन ने कहा कि बाणेश्वर क्षेत्र के लगभग सभी तालाबों में मोहन है। उन सभी तालाबों में पानी की गहराई 8 से 9 फीट है इसलिए वहां मोहन अच्छे से रह रहे हैं। इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि शिव दिघी में मुहाना ऊंचा होने के कारण मोहन सर्दी के दौरान धूप सेकने के लिए किनारे के ऊपर नहीं उठ पाता है। मोहन की मौत को रोकने के लिए प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। जिस तरह पिछले साल मोहन का इलाज किया गया था, उसी तरह से इलाज किये जाने की मांग मोहन रक्षा समिति ने उठायी है।