एमईएससी ने नई दिल्ली में वाईडब्ल्यूसीए में अभिलेखीय संरक्षक कार्यक्रम शुरू किया

कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के तत्वावधान में मीडिया एंड इंटरटेनमेन्ट स्किल्स काउंसिल (एमईएससी) ने आज नई दिल्ली में संस्कृति मंत्रालय के तहत नेशनल अर्काइव्स ऑफ़ इंडिया (एनएआई) के सहयोग से यंग वूमेन क्रिश्चियन एसोसिएशन (वाईडब्ल्यूसीए) में एनएसक्यूएफ-अलाइन्ड अर्काइवल कंज़र्वेटर प्रोग्राम लॉन्च किया। यह प्रोग्राम रिकॉर्ड के डिजिटलाइज़ेशन को सक्षम करने के लिए पुराने और क्षतिग्रस्त दस्तावेजों को रीस्टोर करने के लिए 1000 उम्मीदवारों को आवश्यक ज्ञान, विशेषज्ञता और टेक्निकल स्किल्स के साथ सशक्त बनाएगा। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर पर उपस्थित हुए। एनएआई के डायरेक्टर जनरल श्री अरुण सिंघल; एनएसआई के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. संजय गर्ग और एमईएससी के सीईओ मोहित सोनी ने भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। अर्काइवल कंज़र्वेटर प्रोग्राम का उद्देश्य नेशनल अर्काइव्स ऑफ़ इंडिया के नेतृत्व में व्यापक डिजिटलाइज़ेशन प्रयासों के माध्यम से देश के सभी नागरिकों के लिए समृद्ध नेशनल डॉक्यूमेन्टरी विरासत को आसानी से सुलभ बनाना है।

90 घंटे के कॉम्प्रिहेन्सिव ट्रेनिंग मॉड्यूल, प्रैक्टिकल वर्कशॉप्स और व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से, प्रतिभागियों को रीस्टोरेशन टेक्निक्स, अर्काइवल बेस्ट प्रैक्टिस, मेटाडेटा मैनेजमेन्ट और डिजिटल प्रिज़र्वेशन स्ट्रेटेजी में दक्षता हासिल होगी। यह एनएआई में 2.25 करोड़ स्टोर किए गए डेटा की सावधानीपूर्वक रिपेयरिंग और रीहैबिलिटेशन की सुविधा प्रदान करने, अधिक ऐतिहासिक समझ को बढ़ावा देने और समावेशिता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह दो वर्षों के भीतर समृद्ध विरासत की व्यापक उपलब्धता और संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स को डिजिटल फॉर्मेट में बदलने की आकांक्षा रखता है। इस अवसर पर बोलते हुए, एमएसडीई के सचिव, श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा, “अमृत काल के इस युग में, हम ऐतिहासिक डेटा के संरक्षण को गहराई से महत्व देते हैं। हम न केवल भावी पीढ़ी के लिए बल्कि वैश्विक मंच पर भारत के शानदार अतीत को प्रस्तुत करने के लिए भी इसके महत्व को समझते हैं। एक इनोवेटिव स्किलिंग प्रोग्राम पर एनएआई के साथ हमारी साझेदारी विशिष्ट क्षेत्रों में कुशल प्रोफेशनल्स को विकसित करने के प्रति हमारे समर्पण का उदाहरण है। जब हम कौशल विकास के लिए असीमित अवसरों का समर्थन करते हैं तो यह सुनिश्चित करते हुए कि उत्कृष्टता हमारे देश की उन्नति के विज़न के साथ मेल खाती है, हम कड़े मानकों और मूल्यांकनों को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ हैं।

इस प्रोग्राम के प्रमाणित उम्मीदवार, चल रहे डिजिटलाइज़ेशन प्रोजेक्ट में प्रभावी ढंग से योगदान देने, ऐतिहासिक रिकॉर्ड तक पहुंच में सुधार करने और सांस्कृतिक विरासत के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित होंगे। इसके अतिरिक्त, यह राज्य-स्तरीय संगठनों और संस्थानों में युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं को व्यापक बनाएगा, जिससे समाज को बड़े पैमाने पर लाभ होगा। यह डिजिटलाइज़ेशन की बढ़ती आवश्यकता और देश के अर्काइवल सेक्टर में नागरिकों को आसानी से पहुंच प्रदान करने के सरकार के विज़न के साथ भी जुड़ा हुआ है। आवश्यक कौशल प्राप्त करने से नेशनल अर्काइवल ऑफ़ इंडिया और अर्काइवल डिजिटलाइज़ेशन प्रयासों में लगे समान राज्य-स्तरीय संगठनों में उम्मीदवारों की रोजगार क्षमता में भी वृद्धि होगी। प्रतिभागियों को रीस्टोरेशन तकनीकों, डॉक्यूमेन्टेशन और उसी के मैनेजमेन्ट में दक्षता हासिल होगी, जिससे उन्हें अर्काइवल सेक्टर के भीतर मूल्यवान असेट्स के रूप में स्थान मिलेगा। अर्काइवल कंजर्वेटर ऐतिहासिक और मूल्यवान रिकॉर्ड्स के संरक्षण, रीहैबिलिटेशन और मेन्टिनेन्स के लिए जिम्मेदार है। इन रिकॉर्ड्स में मैन्युस्क्रिप्ट, बुक्स, मैप, फोटोग्राफ्स, ऑडियो रिकॉर्डिंग, डिजिटल फ़ाइलें और अन्य अर्काइवल मैटेरियल्स जैसी विस्तृत श्रृंखला के मैटेरियल्स शामिल हो सकते हैं। स्किल्ड कंजर्वेटर डॉक्यूमेंट की पहचान, रिकॉर्ड बनाए रखने और डॉक्यूमेंट के संरक्षण और रीस्टोरेटिव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। टेक्नोलॉजी और कोलैबोरेशन की ताकत का उपयोग करके, भारत के नेशनल अर्काइव का लक्ष्य एक वाइब्रेंट डिजिटल रिपोजिटरी बनाना है जो भौगोलिक सीमाओं के परे है और हमारे सामूहिक इतिहास की गहरी सराहना के साथ भावी पीढ़ियों को सशक्त बनाता है। यह प्रोग्राम प्रासंगिक स्टैंडर्डस और गाइडलाइन का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए रिकॉर्ड की इंटीग्रिटी, प्रामाणिकता और सुरक्षा बनाए रखने के महत्व पर भी जोर देगा।

By Business Bureau