छोटे व्याावसाय और उससे जुड़े हुए कारोबारी भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े स्तंभों में से एक है, लेकिन अभी भी खासतौर से टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में महिला उद्यमियों की मदद के लिए एक गंभीर और स्थायी दखल की जरूरत है। आज के दौर में भी महिला से उम्मीरद की जाती है कि वह बस एक पत्नी , एक मां की भूमिका को बखूबी निभाये। घर के दूसरे सदस्योंि की अच्छेम से देखभाल करे। जो महिला एक कारोबारी के रूप में अपनी पहचान बनाती है, वह इस खास सांचे में ढली भूमिका की सदियों से चली आ रही परंपरा के उलट काम करती है।
पिछले 2 सालों में खासतौर से महामारी के दौरान भारत में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई। छोटे शहरों की महिलाओं ने अब ऑनलाइन प्रॉडक्ट्स की बिक्री शुरू कर दी है और इससे उन्हेंम काफी लाभ भी हुआ है। डिजिटल तकनीक, ई-कॉमर्स और डेटा कारोबार में सफलता के लिए बहुत जरूरी हो गए हैं। शहरी और पढ़े-लिखे लोगों के लिए इन तकनीकों को अपनाना और इसे लागू करना काफी आसान है, लेकिन भारतीय समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग अभी भी तकनीकी जागरूकता, ॠण तक पहुंच और भाषा संबंधी बाधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है। इसमें छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाली महिलाएं बेहद प्रभावित हुई हैं, जिन्हें समाज में सामाजिक जेंडर संबंधी बाधओं के खिलाफ अवश्यस संघर्ष करना चाहिए। इसलिए इस भेदभाव को खत्म करना बेहद जरूरी है। इसके लिए महिलाओं को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उन्हें कारोबार और तकनीक की बारीकियों का प्रशिक्षण देना चाहिए।