एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन और एएससीवीडी के जोखिम को कम करना अनिवर्य है: डॉक्टर 18 साल की उम्र से प्रारंभिक कोलेस्ट्रॉल जांच की सलाह देते हैं

118

ऐसा माना जाता है कि हृदय रोग मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है, लेकिन इसका प्रभाव महिलाओं में भी उतना ही महत्वपूर्ण है, हालांकि, अक्सर यह दोनों में अलग-अलग तरह से नज‍र आता है। भारत में, महिलाओं में हृदय रोग की व्यापकता 3% से 13% तक है और पिछले दो दशकों के अंतर्गत इसमें लगभग 300 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। हाल में‍ किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि वास्तव में भारतीय महिलाओं में हार्ट फेलियर की मौजूदगी में 2000 से 2015 तक दोगुनी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इन चिंताजनक आँकड़ों के साथ, विशेष रूप से एथेरोस्क्लोरोटिक कार्डियोवैस्‍कुलर डिजीज (एएससीवीडी) जैसी स्थितियों में  इन जेंडर-विशिष्ट अंतर को स्वीकार करना आवश्यक है। एएससीवीडी का तात्पर्य प्लाक के निर्माण के कारण धमनियों के सिकुड़ने और सख्त होने से है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. पीके हाजरा, डायरेक्टर, कैथ लैब, एएमआरआई मणिपाल हॉस्पिटल, कोलकाता का कहना है, “यदि ऐसा कहा जाये कि महिलाओं को कोलेस्ट्रॉल की जांच समय पर करानी चाहिये, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति  नहीं होगी, क्योंकि इनके लक्षणों पर अक्सर ही ध्यान नहीं दिया जाता। महिलाओं को 18 साल की उम्र से ही कोलेस्ट्रॉल की जांच शुरू करवा देनी चाहिए। मैं जितने भी रोगियों से मिलता हूं, उनमें लगभग 90% लोगों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक पाया जाता है। इसकी वजह से एएससीवीडी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। जब महिलाएं पहली बार आती हैं तो उन्हें अपनी परेशानी के बारे में पता ही नहीं होता है। रहन-सहन की आदतें और हॉर्मोन्स में होने वाले बदलावों की वजह से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। यदि इसका इलाज ना किया जाए तो एससीवीडी जैसे कार्डियोवैस्कुलर रोगों का खतरा बढ़ सकता है। जोखिम के कारकों को कम करने के लिए लिपिड की समय पर और नियमित रूप से जांच कराना और समय पर उपचार कराना बेहद जरूरी है। एलडीएल-सी को ध्यान में रखते हुए बचाव के लिए रोगी की जरूरत के अनुसार उपचार योजना बनाना आवश्यक है। हृदय  की सेहत को बनाए रखने के लिए सतर्क और सुरक्षात्मक कदम उठाना अहम है।’’

महिलाओं में एएससीवीडी का प्रभाव

इन अध्ययनों से पता चलता है कि एएससीवीडी लक्षणों, जोखिम कारकों और परिणामों के संदर्भ में महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करता है। महिलाओं में अक्सर उम्र के बाद के पड़ाव में, विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के बाद एएससीवीडी हो सकता है और उन्‍हें थकान, सांस की तकलीफ, या जबड़े, गर्दन, पीठ या पेट में असुविधा  जैसे लक्षणों का अनुभव होता है। इन लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है या गलत व्याख्या की जाती है, जिससे निदान और उपचार में विलंब होता है। जबकि पुरुषों और महिलाओं में उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और धूम्रपान जैसे सामान्य एएससीवीडी के जोखिम कारक साबित  हैं, महिलाओं में गर्भावस्था से संबंधित स्थितियों (जैसे, गर्भकालीन मधुमेह, प्री-एक्लेमप्सिया) और हार्मोनल प्रभाव (जैसे, पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम, रजोनिवृत्ति) अतिरिक्त जोखिम हैं। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, रजोनिवृत्ति के कारण एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन के स्तर में कमी के कारण एएससीवीडी विकसित होने के खतरे में वृद्धि होती है।

एएससीवीडी और कोलेस्ट्रॉल के बीच संबंध

एएससीवीडी एक दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या है जहां धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है। समय के साथ, धमनियों में कोलेस्ट्रॉल प्लाक बनने से वे सिकुड़ती और सख्त हो जाती हैं। जैसे-जैसे प्लाक बढ़ता रहता है, यह दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है।

अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल के बीच अंतर करना

कोलेस्ट्रॉल शरीर के क्रियाकलाप  के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन असंतुलन हानिकारक भी साबित हो सकता है। कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल, जिसे अक्सर “खराब” कोलेस्ट्रॉल के रूप में लेबल किया जाता है, धमनियों में प्लाक निर्माण को बढ़ावा देकर एएससीवीडी में योगदान देता है। इसके विपरीत, उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल, जिसे “गुड” कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है, रक्तप्रवाह से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है, जिससे आर्टीरियल प्‍लाक बनने का खतरा कम हो जाता है।

महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल स्तर का महत्व

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल एएससीवीडी के विकास में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, जो इसे महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण फोकस बनाता है। नियमित लिपिड प्रोफाइल परीक्षण और कोलेस्ट्रॉल की निगरानी के माध्यम से किसी के एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को जानना इस जोखिम के प्रबंधन के लिए आवश्यक है।

अपने डॉक्टर से बात करना क्यों महत्वपूर्ण है?

महिलाओं में एएससीवीडी के विभिन्न जोखिम कारकों और अभिव्यक्तियों को देखते हुए, सभी के लिए एक ही उपचार का दृष्टिकोण अपर्याप्त है। अपने हृदय स्वास्थ्य के बारे में अपने डॉक्टर से खुलकर और सही बातचीत करना महत्वपूर्ण है। अपने प्रजनन इतिहास, हार्मोनल स्थिति, जीवनशैली और किसी भी आनुवंशिक प्रवृत्ति पर उनसे चर्चा करें। व्‍यक्तिगत एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लक्ष्य निर्धारित करने के लिए एक साथ काम करके, आप और आपके  डॉक्टर आपके अनूठे स्वास्थ्य प्रोफ़ाइल के अनुरूप एक रोकथाम योजना विकसित करने की योजना बना सकते हैं।

हृदय स्वास्थ्य संबंधित देखभाल के लिए  एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसमें नियमित निगरानी, ​​​​व्यक्तिगत देखभाल योजनाओं और प्रभावी डॉक्टर-रोगी संचार के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाती है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को समझकर और प्रबंधित करके, महिलाएं अपने हृदय स्वास्थ्य की सुरक्षा और अपने संपूर्ण सेहत में सुधार के लिए सक्रिय कदम उठा सकती हैं।