रवींद्रनाथ टैगोर हार्ट इंस्टीट्यूट ने पूर्वी भारत में रचा इतिहास, किया डुअल-चेम्बर लीडलेस पेसमेकर का सफल इम्प्लांट

हृदय रोगों के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज करते हुए रवीन्द्रनाथ टैगोर हार्ट इंस्टिट्यूट, कोलकाता, पूर्वी भारत का पहला ऐसा केंद्र बन गया है, जहां 8 अक्टूबर को एक ही दिन में दो डुअल-चेम्बर लीडलेस पेसमेकर का सफल प्रत्यारोपण किया गया। यह हृदय पेसमेकर उपकरणों की सबसे उन्नत और नवीनतम तकनीक मानी जाती है। यह ऐतिहासिक प्रक्रिया कार्डियक केथलैब में डॉ. देबदत्ता भट्टाचार्य के नेतृत्व में कार्डियोलॉजिस्ट और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम द्वारा पूरी की गई। इस सफलता के साथ रवींद्रनाथ टैगोर हार्ट इंस्टीट्यूट ने अत्याधुनिक कार्डिएक रिद्म मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को और मजबूत किया है। यह उपलब्धि न्यूनतम इनवेसिव (बिना बड़े चीरे वाली) कार्डियक प्रक्रियाओं के क्षेत्र में भी एक नया मील का पत्थर मानी जा रही है।

नवप्रवर्तित एवीयर (AVEIR) लीडलेस पेसमेकर सिस्टम हृदय गति प्रबंधन तकनीक की नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है। पारंपरिक पेसमेकर जहां तारों (लीड्स) और चेस्ट पॉकेट जैसी सर्जिकल जगह की आवश्यकता होती है, वहीं एवीयर सिस्टम पूरी तरह वायरलेस और अत्यंत न्यूनतम इनवेसिव तकनीक है। विटामिन कैप्सूल के आकार का यह पेसमेकर एक पतली कैथेटर ट्यूब के माध्यम से नस के जरिए सीधे हृदय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस प्रक्रिया में छाती पर चीरा लगाने या किसी तरह के निशान की आवश्यकता नहीं होती। इस वजह से सर्जरी के बाद दर्द, संक्रमण का खतरा और रिकवरी का समय काफी हद तक कम हो जाता है।

लगभग 18 से 20 वर्ष या उससे अधिक की अनुमानित आयु वाले एवीयर पेसमेकर ने विश्वसनीयता और लंबे समय तक मरीज की सुविधा के नए मानक स्थापित किए हैं। यह सिंगल और डुअल-चेम्बर दोनों मॉडलों में उपलब्ध है, जिससे हृदय रोग विशेषज्ञ प्रत्येक मरीज की हृदय गति की ज़रूरतों के अनुसार इलाज को व्यक्तिगत रूप से अनुकूलित कर सकते हैं।रवीन्द्रनाथ टैगोर हार्ट इंस्टिट्यूट में डुअल-चेम्बर लीडलेस पेसमेकर का सफल प्रत्यारोपण देश में हृदय रोगियों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हुआ है। इस उपलब्धि के साथ ही यह संस्थान भारत में एडवांस्ड कार्डियक रिदम मैनेजमेंट के क्षेत्र में अग्रणी केंद्रों में शामिल हो गया है। डॉ. देबदत्ता भट्टाचार्य के नेतृत्व में अस्पताल की कार्डियोलॉजी टीम अब देशभर के अन्य हृदय रोग विशेषज्ञों को भी इस अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दे रही है, ताकि भारत के अधिक से अधिक मरीज इस नवाचार का लाभ उठा सकें। रवींद्रनाथ टैगोर हार्ट इंस्टीट्यूट के कैथलैब प्रमुख एवं क्लीनिकल डायरेक्टर तथा कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देबदत्ता भट्टाचार्य ने कहा, “यह हृदय गति प्रबंधन के विकास में एक ऐतिहासिक क्षण है। एवीयर सिस्टम सिर्फ एक नवाचार नहीं, बल्कि हृदय गति प्रबंधन में एक क्रांति है। यह भारतीय मरीजों को विश्वस्तरीय सटीकता, सुरक्षा और सरलता प्रदान करता है, जिससे वे तेजी से स्वस्थ होकर बेहतर जीवन गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं।”

By Business Bureau