मॉर्गन स्टेनली की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि ‘व्यापार तनाव’ एशिया के विकास में बाधा बने रहेंगे, लेकिन इस पृष्ठभूमि में कम माल निर्यात, मजबूत सेवा निर्यात और घरेलू मांग के लिए पॉलिसी सपोर्ट की वजह से ‘भारत’ अभी भी इस क्षेत्र में सबसे बेहतर स्थिति में है। राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों में अनावश्यक रूप से दोहरी सख्ती को वापस लेने से भारत में सुधार को गति मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है, “मौद्रिक ढील तीन मोर्चों रेट्स, लिक्विडिटी इंजेक्शन और विनियामक ढील पर पूरी तरह से लागू हो रही है। ‘व्यापार तनाव’ क्षेत्र के व्यापार परिदृश्य को प्रभावित करेगा, लेकिन भारत अपने कम माल निर्यात और जीडीपी अनुपात के कारण कम जोखिम में है।25% टैरिफ लागू हो गया इस बीच, पॉलिसी सपोर्ट जो इसके घरेलू मांग आउटलुक को बदल देगा, भारत को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करेगा। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि आने वाले महीनों में सुधार जारी रहेगा। हाल ही के आंकड़ों में पहले से ही सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं। हमारी हाई-फ्रिक्वेंसी मीट्रिक – माल और सेवा कर (जीएसटी) राजस्व – जनवरी-फरवरी 2025 में औसतन 10.7 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जबकि 2024 की तीसरी तिमाही में यह औसतन 8.9 प्रतिशत और 2024 की चौथी तिमाही में 8.3 प्रतिशत था। अगर हम इस फैक्ट को एडजस्ट करते हैं कि पिछले वर्ष फरवरी में एक अतिरिक्त दिन (लीप वर्ष) था, तो जनवरी-फरवरी 2025 में जीएसटी राजस्व में लगभग 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में निरंतर गति, मौद्रिक नीति पर तीन गुना ढील, खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी, वास्तविक घरेलू आय में वृद्धि और सेवा निर्यात में सुधार से रिकवरी को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि नीति दरों, लिक्विडिटी और विनियामक फ्रंट पर नीतिगत ढील से विकास में सुधार को समर्थन मिलेगा। इनमें से अधिकतर उपाय पिछले छह सप्ताह में ही किए गए हैं और इसलिए सुधार को समर्थन देने के मामले में इसके पूरी तरह से सामने आने में अभी भी कुछ समय लगेगा।” निजी खपत में 2024 की चौथी तिमाही में कुछ सुधार हुआ है, जिसमें वास्तविक निजी खपत वृद्धि 6.9 प्रतिशत तक बढ़ गई है। यूपीआई सबसे आगे ग्रामीण मात्रा में मजबूत सुधार के कारण तिमाही में फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) की मात्रा वृद्धि भी 7.1 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इस बीच, आरबीआई ने नॉन बैंक फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) पर विनियामक सख्ती को कम करना शुरू कर दिया है, जो एनबीएफसी को बैंक क्रेडिट के लिए जोखिम भार में 25 प्रतिशत पॉइंट की वृद्धि के हालिया रोलबैक से स्पष्ट है। रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा मानना है कि इससे एनबीएफसी लेंडर्स और अंतिम उधारकर्ताओं के लिए लिक्विडिटी पहुंच में सुधार करने में मदद मिलेगी।
एशिया में ‘भारत’ सबसे बेहतर स्थिति में है : मॉर्गन स्टेनली
