एसएससी नियुक्ति मामले में खंडपीठ ने फिर लगाया एकल पीठ के आदेश पर स्टे, पूछताछ नहीं कर सकेगी सीबीआई

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पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली संबंधी मामले में एसएससी के तत्कालीन सलाहकार शांति प्रसाद सिन्हा के खिलाफ सीबीआई जांच संबंधी कलकता हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश पर खंडपीठ ने फिर रोक लगा दी। एक दिन पहले ही न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने सिन्हा से पूछताछ करने के आदेश सीबीआई को दिए थे। उसके मुताबिक सीबीआई ने पूछताछ भी की थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दोपहर 12:30 बजे न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने आदेश दिया कि शांति प्रसाद सिन्हा समेत एसएससी के उन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई एफआईआर दर्ज करे जो सलाहकार समिति के सदस्य थे।

लेकिन दोपहर 1:30 बजे के करीब इसी मामले में शांति प्रसाद सिन्हा द्वारा देर रात हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर न्यायमूर्ति सोमेन सेन और अजय कुमार मुखर्जी की खंडपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने शांति प्रसाद सिन्हा के वकील की दलीलें सुनने के बाद स्पष्ट कर दिया कि अब फिलहाल सोमवार तक सिन्हा से सीबीआई पूछताछ नहीं कर सकेगी और ना ही इस मामले में कोई प्राथमिकी होगी। दरअसल 2019 में जब शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली हुई थी तब सिन्हा के अलावा चार और लोग सलाहकार समिति में थे जिनके खिलाफ सीबीआई को जांच के आदेश न्यायमूर्ति गांगुली ने दिए हैं। इस आदेश को बहाल रखते हुए खंडपीठ ने कहा कि सिन्हा से तो पूछताछ नहीं हो सकेगी लेकिन बाकी चार लोगों के खिलाफ सीबीआई जांच जारी रख सकती है। आगामी सोमवार तक शांति प्रसाद सिन्हा से पूछताछ और प्राथमिकी पर खंडपीठ ने रोक लगाई है।

 उल्लेखनीय है कि 98 शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। एसएससी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 98 में से 90 शिक्षकों की नियुक्ति की सिफारिश नियुक्ति पैनल ने नहीं की है। जांच में पता चला है कि तत्कालीन सलाहकार शांति प्रसाद सिन्हा और चार अन्य लोगों के नेतृत्व में गठित समिति ने हीं गैरकानूनी नियुक्ति की सिफारिश की थी। अब इस मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। इसके अलावा इसी तरह की नियुक्तियों में धांधली को लेकर वह चार बार सीबीआई जांच के आदेश दे चुके हैं और हर बार खंडपीठ द्वारा लगातार फैसले पर स्टे लगाने को लेकर भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का ध्यानाकर्षण किया है। उन्होंने हस्तक्षेप की मांग की है। बावजूद इसके एक बार फिर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने उनके आदेश पर स्टे लगाया है।