पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के जरिए ग्रुप डी नियुक्ति में धांधली को लेकर लंबित मामले के बीच अब पश्चिम बंगाल में ग्रुप सी नियुक्ति में भी धांधली के आरोप लगे हैं। इस संबंध में हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने एक कर्मी का वेतन रोकने का आदेश दिया है। इसके अलावा 48 घंटे के अंदर उन्होंने एसएससी से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की है। साथ ही न्यायमूर्ति ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को भी मामले में पार्टी बनाने का आदेश दिया है।
यह नियुक्ति भी वर्ष 2016 की ही है। ठीक उसी समय की जब ग्रुप डी में एसएससी के जरिए नियुक्ति हुई थी। बताया गया है कि ग्रुप डी के साथ ग्रुप सी में भी नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी हुई थी। लिखित परीक्षा के बाद पास करने वाले परीक्षार्थियों की नियुक्ति के लिए पैनल बना था। आरोप है कि पूर्व मेदिनीपुर के एक व्यक्ति को सबसे पहले ग्रुप सी में नियुक्त कर दिया गया। उसके बाद गठित पैनल की मियाद खत्म हो जाने के बाद भी 350 कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। इस पर आश्चर्य जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति ने कहा कि आखिर गठित पैनल की मियाद खत्म हो जाने के बाद भी कैसे नियुक्ति हुई?
उन्होंने कहा कि पूर्व मेदनीपुर के जिस व्यक्ति ने नौकरी ज्वाइन की है उनका वेतन फिलहाल बंद रखा जाएगा। 48 घंटे के बाद मामले की दोबारा सुनवाई होगी। उसके पहले एसएससी को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट देनी होगी। उल्लेखनीय है कि ग्रुप डी में भी इसी तरह से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की वजह से न्यायमूर्ति गांगुली ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। हालांकि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस आदेश पर फिलहाल तीन सप्ताह की रोक लगाई है।