एसआईआर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा? अपरिचित व्यक्ति को दादा बनाकर बनवाया दस्तावेज; माटीगाड़ा में हड़कंप

राज्य भर में चल रहे विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के शुरू होते ही अनियमितताओं और फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आने लगी हैं। इसी कड़ी में, माटीगाड़ा ब्लॉक के पाथरघाटा अंचल में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। हाल ही में तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए खगेश्वर राय पर गलत दस्तावेज के साथ एन्यूमरेशन फॉर्म भरने का आरोप लगा है। यह आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि उस व्यक्ति के बेटे नरेश राय ने लगाया है, जिसे खगेश्वर राय ने अपना दादा (तारक बंधु राय) बताया है। इस घटना से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।  खगेश्वर राय ने दावा किया है कि तारक बंधु राय उनके  बड़े भाई हैं नरेश राय (जो तारक बंधु राय के बेटे हैं) ने स्पष्ट किया कि तारक बंधु राय उनके पिता हैं और उनका खगेश्वर राय से कोई संबंध नहीं है।   2002 की सूची के क्रमिक संख्या 636 में तारक बंधु राय के पिता का नाम सदानंद राय दर्ज है, जबकि खगेश्वर राय ने फॉर्म में तारक बंधु राय के पिता का नाम देबेंद्र राय लिखा है। इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है:

पाथरघाटा अंचल तृणमूल अध्यक्ष, भूपेंद्रनाथ सिंह, ने कहा:

“अगर उन्होंने (खगेश्वर राय) गलत जानकारी दी है तो यह देखना चुनाव आयोग का काम है। अगर लोग गलत जानकारी देकर SIR फॉर्म भरते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि SIR की जरूरत है। चुनाव आयोग को इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए। मुझे लगता है कि 2002 की लिस्ट में नाम न होने के कारण खगेश्वर राय ने शायद तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होकर फायदा लेने की कोशिश की है।”

माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी भाजपा विधायक, आनंदमय बर्मन, ने कहा:

“निश्चित रूप से, अगर खगेश्वर राय ने गलत जानकारी दी है, तो यह तृणमूल का देखने का काम नहीं है, इसके लिए चुनाव आयोग है। इसके अलावा, जो हिंदू दूसरे देशों से यहां आए हैं, उन्हें भी CAA के माध्यम से भारत की नागरिकता दी जाएगी।” इस पूरे घटनाक्रम से यह सवाल उठ रहा है कि क्या SIR प्रक्रिया में वास्तव में गलतियाँ सुधर पाएंगी? चूंकि अभी डेटा सत्यापन (Verification) की प्रक्रिया बाकी है, इसलिए यह देखना होगा कि मतदाता सूची में संशोधन कितनी पारदर्शी प्रक्रिया से होता है।

By Sonakshi Sarkar