सीएमएल के साथ जीवन बिताना – समय रहते प्रबंधन का विस्तृत गाइड

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क्रॉनिक मेंलॉइड ल्‍युकेमिया (सीएमएल) सिर्फ एक समस्‍या नहीं बल्कि एक आजीवन सफ़र है जिसमें  अग्रसक्रिय प्रबंधन और भावनात्मक मजबूती ज़रूरी होती है। ल्‍युकेमिया के सभी मामलों में से लगभग 15% सीएमएल के होते हैं और यह बोन मैरो पर असर डालता है। इसमें श्‍वेत रक्‍त कोशिकाएँ (डब्लूबीसी) अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। कैंसर का पता चलने पर शुरूआत में डर लग सकता है, लेकिन यह समझना महत्‍वपूर्ण है कि सही तरीका अपनाकर सीएमएल को मैनेज किया जा सकता है। गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ क्लिनिकल हीमैटोलॉजी की ऑफिसर, डॉ. जिना भट्टाचार्य ने कहा, ‘’कई वर्षों के अपने अनुभव में हमने ब्‍लड कैंसर से पीडि़त तरह-तरह के मरीजों का इलाज किया है। सीएमएल एक तरह का ब्‍लड कैंसर है, जो हर उम्र के लोगों में पाया जा सकता है। क्रॉनिक मेंलॉइड ल्‍युकेमिया (सीएमएल) के इलाज में नियमित निगरानी और भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान देने सहित एक व्यापक दृष्टिकोण की ज़रुरत होती है। उपचार की प्रभावकारिता और रोग की प्रगति को समझने के लिए हर तीन महीने पर नियमित ईएलएन दिशानिर्देश-आधारित निगरानी महत्वपूर्ण है, जिससे  अधिकतम संभावित बीसीआर-एबीएल स्टार सुनिश्चित होता है। इसके अलावा, उन मरीजों के लिए, जो पुरानी बीमारी के कारण भावनात्‍मक एवं मनोवैज्ञानिक चुनौतियों से गुजरते हैं, काउंसलिंग से काफी मदद मिलती है। साथ ही, अपने डॉक्‍टर से नये-नये उपचारों पर चर्चा करने से आपको उपचार की यात्रा समझने और जीवन की गुणवत्‍ता को बेहतर बनाने में सहायता मिल सकती है।‘’

सीएमएल को अक्‍सर ‘अच्‍छा कैंसर’ कहा जाता है, क्‍योंकि इसे मैनेज किया जा सकता है। लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि सीएमएल का बढ़ना ‘अच्‍छा’ नहीं होता है। हो सकता है कि कुछ मरीजों पर दवा का असर बंद हो जाए या उनके दैनिक जीवन दुष्प्रभावित होने लगे। हालांकि, समय रहते कदम उठाने और ध्यानपूर्वक निगरानी रखने पर इन चुनौतियों से बचा जा सकता है या इन्‍हें मैनेज किया जा सकता है। इसलिये स्‍वास्‍थ्‍य-देखभाल प्रदाताओं या डॉक्‍टरों के साथ संवाद बनाये रखने से सही प्रबंधन सुनिश्चित होता है और उपचार के दौरान आशा एवं आत्‍मविश्‍वास का अहसास होता है।  सीएमएल के चिकित्‍सकीय पहलुओं के साथ-साथ भावनात्‍मक प्रभाव को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सीएमएल के मरीजों को शुरूआत में मिलने वाली चुनौतियों में से एक है कैंसर से जुड़ा सामाजिक कलंक। कई लोग सामाजिक धारणाओं के कारण अपने करीबी पारिवार से बाहर कैंसर के बारे में बताने से हिचकिचाते हैं। ऐसे में परिवार का मजबूत सहयोग और आपकी भावनात्‍मक मजबूती महत्‍वपूर्ण हो जाती है। अपने प्रियजनों के साथ खुलकर बात करना और जरूरत होने पर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सहयोग लेना सीएमएस के समग्र प्रबंधन में महत्‍वपूर्ण होता है।

सीएमएल के साथ जीने में सहयोग के लिये पूर्वसक्रिय आधार पर उठाये जा सकने वाले कुछ कदम इस प्रकार हैं:

लगातार निगरानी : इलाज के असर को जानने के लिये अपने बीसीआर-एबीएल लेवल्‍स पर लगातार नजर रखें और उनके बदलावों पर ध्‍यान दें। सही समय पर कदम उठाने और रोग की प्रगति रोकने के‍ लिये नियमित निगरानी महत्‍वपूर्ण है।

समग्रतापूर्ण दृष्टिकोण : एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं, जिसमें आपके रुटिन में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिये सहयोग, आहार में उचित बदलाव या नियमित व्‍यायाम शामिल हो। यह समग्रतापूर्ण नजरिया कुल मिलाकर तंदुरुस्‍ती को बढ़ाता है और सीएमएल के प्रबंधन में सहयोग देता है।

खुलकर बात करें : अपने डॉक्‍टर और देखभाल करने वालों के साथ खुलकर और ईमानदारी से बात करें। सीएमएल के साथ समस्‍या, लक्षण या चुनौतियाँ होने पर बताएं, ताकि प्रभावकारी सहयोग एवं प्रबंधन प्राप्त हो सके।

सहयोगी तंत्र : सहयोगी समूहों के माध्‍यम से सीएमएल के अन्‍य मरीजों के साथ जुड़ें। उन्‍हें अपने अनुभव बताएं, भावनात्‍मक सहयोग लें और सोचें कि आप अकेले नहीं हैं।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्‍थ के अनुसार, दुनिया में लगभग 1.2 से 1.5 मिलियन लोगों को सीएमएल है और चिकित्‍सा विज्ञान में प्रगति के कारण इलाज के नतीजे उल्‍लेखनीय तरीके से बेहतर हुए हैं। सीएमएल का उपचार, खासकर टायरोसिन काइनेस इन्हिबिटर्स (टीकेआई) महत्‍वपूर्ण ढंग से मरीजों के नतीजों और जीवन की गुणवत्‍ता में काफी सुधार हुआ है। सीएमएल कई लोगों की जिन्‍दगी का हिस्‍सा है, लेकिन यह किसी की पहचान नहीं बन सकता। याद रखिये कि इलाज में स्‍वास्‍थ्‍य के बेहतर परिणाम हासिल करने और जीवन की अच्‍छी गुणवत्‍ता बनाये रखने में आपकी सक्रियता और भावनात्‍मक तंदुरुस्‍ती की महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है।