राज्य के सभी जिलों में ऑटोमेटिक वाहन फिटनेस जांच सेंटर स्थापित करने की कवायद

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी परियोजना “सेफ ड्राइव, सेव लाइफ” को सफल बनाने के लिए बंगाल सरकार ने वाहनों की फिटनेस चेकिंग के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में एक आटोमेटेड इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसका लाभ होगा कि सड़कों पर चल रहे किसी वाहन में यांत्रिक खराबी का पता लगाया जा सकेगा। हाल ही में, राज्य प्रशासन ने सभी जिलाधिकारियों को स्वचालित फिटनेस सेंटर स्थापित करने के लिए भूमि की पहचान करने का निर्देश दिया है। एक अधिकारी की मानें तो अब तक वाहनों को ‘मैन्युअली’ चेक किया जाता है कि उसमें कहीं कोई यांत्रिक खराबी तो नहीं है।

मोटर वाहन निरीक्षक (तकनीकी) इसका परीक्षण करते हैं। इस प्रकार का ‘मैन्युअल’ परीक्षण कई यांत्रिक त्रुटियों का पता नहीं लगा सकता है, लेकिन नए तरह के आटोमेटेड इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर के बनने से परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वाहनों की सभी खामियों का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

हाल ही में नदिया जिले में एक सड़क हादसा हुआ था। घटना की जांच के बाद प्रशासन को पता चला कि सरकारी नियमों के अनुसार कार का ‘मैन्युअल’ निरीक्षण किया गया था, फिर भी कार में व्यापक यांत्रिक दोष थे। घटना की गंभीरता को समझते हुए जिला के संबंधित अधिकारियों ने इसकी जानकारी राज्य प्रशासन के उच्च अधिकारियों को दी। इसके बाद इस मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में एक स्वचालित निरीक्षण और प्रमाणन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों का कहना है इस तरह के सेंटर को बनाने में कम से कम दो एकड़ जमीन लगेगी, क्योंकि वहां बड़े से लेकर छोटे तक सभी प्रकार के वाहनों की जांच की जाएगी। इसलिए सेंटर में कारों को पार्क करने के लिए जगह होनी चाहिए। सेंटर में कंप्यूटर सहित परीक्षण के लिए जरूरी उपकरण होना आवश्यक है जिसकी सहायता से वाहन का फिटनेस टेस्ट किया जाएगा।

परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जमीन की पहचान का काम जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद इस सेंटर के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का काम तेजी से शुरू किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि इस सेंटर की स्थापना के बाद इस पद्धति में परीक्षण शुरू होने के बाद वाहन में कोई खराबी है, तो संबंधित वाहन को फिटनेस का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा।

त्रुटि को ठीक करने पर ही प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। वहीं, जब तक इन स्वचालित निरीक्षण और प्रमाण केंद्रों की स्थापना नहीं की जा रही है, तब मैन्युअल परीक्षण पर ही निर्भर रहना होगा।जिलों को 2023 तक बड़े वाहनों की टेस्टिंग शुरू करने का निर्देश दिया गया है। छोटी कारों की टेस्टिंग का काम 2024 से शुरू होगा। राज्य सरकार ने कोलकाता में वाहनों के परीक्षण के लिए दक्षिण कोलकाता के बेहाला में राज्य का पहला ‘स्वचालित निरीक्षण और प्रमाणन केंद्र’ स्थापित किया है। हालांकि, बेहाला केंद्र को अभी तक चालू नहीं किया गया है क्योंकि बुनियादी ढांचे का काम पूरा नहीं हुआ है। परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक इसे जल्द शुरू करने की पहल की जा रही है।