भारत में हर पाँच में से एक व्यक्ति कब्ज़ की समस्या से परेशान है। पाचन स्वास्थ्य के भरोसेमंद नाम डलकोफ्लेक्स® ने इस विषय पर खुलकर बातचीत की पहल करते हुए अपना नया कैम्पेन ‘नो कॉन्स्टीपेशन (kNOw Constipation)’ लॉन्च किया है। इस अनूठे अभियान का उद्देश्य देश की सबसे आम लेकिन कम चर्चा वाली स्वास्थ्य समस्या – कब्ज़ – को लेकर लोगों की झिझक दूर करना और जागरूकता बढ़ाना है। यह नया कैम्पेन हल्के-फुल्के हास्य और सहज संवाद के ज़रिए कब्ज़ पर बात को सामान्य बनाने की कोशिश करेगा – खासकर महिलाओं के बीच, जो अक्सर इस विषय पर बात करने में झिझक महसूस करती हैं। कब्ज़ पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है, लेकिन महिलाएँ जैविक, शारीरिक और हार्मोनल कारणों से इसके प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। इसके साथ ही, वे चर्चा करने और इलाज करवाने में भी ज़्यादा हिचकिचाती हैं – यही कारण है कि डलकोफ्लेक्स® इस विषय को एक नए, संवेदनशील अंदाज़ में सामने ला रहा है।
भारत की सबसे आम लेकिन कम चर्चा वाली स्वास्थ्य समस्या पर चुप्पी तोड़ने के लिए, डलकोफ्लेक्स® ने अपने ‘नो कॉन्स्टीपेशन’ कैम्पेन के ज़रिए कहानी कहने का नया तरीका अपनाया है। इसका मकसद है लोगों को वैज्ञानिक और समय पर इलाज के महत्व से अवगत कराना। हास्य को रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जोड़ने और संदेश को प्रभावशाली बनाने के लिए, मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियंस – आंचल अग्रवाल, सृष्टी दिक्षित और सौम्या वेणूगोपाल इस पहल का हिस्सा बने हैं। जल्द ही गुरलीन पन्नू, जेमी लीव्हर , श्रेया रॉय भी इससे जुड़ने वाली हैं इस नए और ताज़ा अंदाज़ से डलकोफ्लेक्स® कब्ज़ पर बातचीत को खुला, सहज और सशक्त संवाद में बदल रहा है।
इस अवसर पर ओपेला सीएचसी इंडिया की ब्रांड और इनोवेशन हेड, नूपुर गुरबक्षानी ने कहा, “कब्ज़ पर बने ज़्यादातर विज्ञापन पुरुषों पर केंद्रित होते हैं और अक्सर मजाकिया अंदाज़ में पेश किए जाते हैं, जिससे यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या छोटी लगने लगती है। हमारा उद्देश्य है कि स्वास्थ्य सेवाएँ आसान और सबके लिए सुलभ बनें।‘नो कॉन्स्टीपेशन’ कैम्पेन इसी दिशा में एक कदम है – हम चाहते हैं कि महिलाएँ इस बातचीत की अगुवाई करें और समाज में कब्ज़ को लेकर सोच में बदलाव लाएँ। जब हम कब्ज़ को समझेंगे, तभी हम इसे रोकने और सही तरीके से इलाज करने में सक्षम होंगे।”
