डॉ. रेड्डीज ने ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस पहल के साथ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया

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ग्लोबल फार्मास्युटिकल्स कंपनी, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड ने सबसे बड़े ब्रोशर मोज़ेक (लोगो) इंस्टॉलेशन के लिए एक नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। यह इंस्टॉलेशन टाइप 2 डायबिटीज़ मेलिटस के पीड़ितों के लिए ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस अवेयरनेस पहल का हिस्सा है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज इस सबसे बड़े इंस्टॉलेशन का आकार 162 वर्ग मीटर है, जिसमें ‘ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस स्केल’ पर भारत के हैल्थ प्रोफेशनल्स का फीडबैक शामिल है। भारत में लगभग 10.1 करोड़ डायबिटीज़ के मरीज हैं। डायबिटीज़ से जुड़ा एक आम बोझ ‘डायबिटीज़ डिस्ट्रेस’ है, जिसे डायबिटीज़ के साथ ज़िंदगी गुज़ारने की चुनौतियों और मांगों से निपटने की असमर्थता के कारण अत्यधिक चिंता, बेचैनी या निराशा की भावनात्मक प्रतिक्रिया होती है। भारत में, लगभग 42% डायबिटीज़ के मरीजों को अत्यधिक निराशा होती है। अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन (ADA) के अनुसार, डायबिटीज़ पीड़ितों की मनोवैज्ञानिक-सामाजिक देखभाल आवश्यक होती है। इसलिए, ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस डायबिटीज़ मरीज़ों की स्थिति में सुधार लाने और प्रबंधन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।डॉ. रेड्डीज ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस अवेयरनेस पहल में डायबिटीज़ के समग्र प्रबंधन के लिए मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सेहत में योगदान देने वाले तत्वों के बारे में बताया गया है। इसके अंतर्गत डॉ. रेड्डीज ने डायबिटीज़ मेलिटस के मरीज़ों के लिए ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस की अवधारणा पर भारत के प्रसिद्ध एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और डायबिटीज़ विशेषज्ञों के साथ सहयोग किया है। एक टूल ‘ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस स्केल’ भी विकसित किया गया है जो हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को डायबिटीज़ के मरीज़ों की ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस नापने में मदद करेगा। इसमें 10 सवालों को शामिल किया गया है, जिनके आधार पर अंक दिए जाते हैं, जिससे अनहैप्पी, न्यूट्रल और हैप्पी के फैक्टर्स प्रदर्शित होते हैं। यह स्केल भारत के 7,500 से अधिक हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को दिया गया था, जिनमें फिजिशियंस, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, डायबेटोलॉजिस्ट्स, और कार्डियोलॉजिस्ट्स शामिल थे। यह उन्हें टाइप-2 डायबिटीज़ मेलिटस के मरीज़ों में ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस नापने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करता है। अधिकांश हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स इस बात पर सहमत थे कि “ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस स्केल” टाइप-2 डायबिटीज़ मरीज़ों की ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस नापने के लिए एक उपयोगी उपकरण है। 6,200 से अधिक हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स ने 30,000 से अधिक मरीज़ों पर इसका उपयोग किया, जिससे डायबिटीज़ मरीज़ों की ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस बढ़ाने में उनके सहयोग का प्रदर्शन हुआ।

डॉ. रेड्डीज के इंडिया बिजनेस हेड संदीप खंडेलवाल ने कहा, “भारत विश्व की डायबिटीज़ कैपिटल है। हम अपने प्रयासों से भारत को विश्व की डायबिटीज़ केयर कैपिटल बनाना चाहते हैं। डायबिटीज़ के प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ मनोवैज्ञानिक-सामाजिक कारकों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण हो गया है। इसलिए, ग्लिमी™, रेक्लाइड™, रेक्लाइमेट™ और डैप्लो™ जैसी दवाओं के अपने मजबूत डायबिटीज़ पोर्टफोलियो के अलावा, हमारा उद्देश्य ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस का महत्व बढ़ाना और मरीज़ों, हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और केयरगिवर्स के बीच इसकी जागरूकता बढ़ाना है। हमें यकीन है कि हमारी यह पहल डायबिटीज प्रबंधन में केयर की मौजूदा स्तर को बढ़ाने में मदद करेगी।”

डॉ. संजय कालरा, एमबीबीएस, एमडी, डीएम (एम्स नई दिल्ली), एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ एंडोक्राइन सोसाइटीज के तात्कालिक पूर्व अध्यक्ष, ने कहा, “ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस को बढ़ावा देने के लिए डॉ. रेड्डीज का अभियान सराहनीय है। डायबिटीज़ मरीज़ों को चिंता और सामाजिक अलगाव से निपटना पड़ता है, जिसके कारण उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस अभियान ने कम ग्लाइसेमिक हैप्पीनेस के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिसकी मदद से हम मरीज़ों का स्वास्थ्य और बेहतर जीवन सुनिश्चित कर सकते हैं।” इस कार्यक्रम का आयोजन हैदराबाद में किया गया जिसमें स्वप्निल डांगरीकर, सीनियर एडज्यूडिकेटर, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अधिकारियों ने डॉ. रेड्डीज के प्रतिनिधियों को ‘सबसे बड़ा ब्रोशर मोज़ेक (लोगो)’ प्रशस्ति पत्र सौंपा। एक जिम्मेदार संगठन के रूप में डॉ. रेड्डीज ने ब्रोशर की रि-साइक्लिंग के लिए हैदराबाद स्थित कंपनी के साथ साझेदारी की है।