इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन (आईएलओ) ने आज की दुनिया में कौशल विकास को आकार देने के तरीकों पर विचार-विमर्श हेतु वैश्विक नेताओं को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए ग्लोबल स्किल्स फोरम का आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य था कि निरंतर आर्थिक समृद्धि लाने, व्यक्तियों को सार्थक रोजगार के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाने और समुदायों के भीतर समानता और लचीलेपन को आगे बढ़ाने के लिए कौशल विकास और आजीवन सीखना महत्वपूर्ण है। आईएलओ द्वारा आयोजित “ह्यूमन-सेन्टर्ड डिजिटल ट्रान्सफॉर्मेशन ऑफ़ स्किल डेवलपमेन्ट” पर पैनल चर्चा के दौरान, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) की पहल, स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध), को उस टूल के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसने भारत के स्किल डेवलपमेन्ट ईकोसिस्टम को बदल दिया है। पैनल को संबोधित करते हुए, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की एग्ज़ीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेन्ट (आईटी एंड डिजिटल) और एनएसडीसी इंटरनेशनल की डायरेक्टर और सीटीओ सुश्री श्रेष्ठा गुप्ता, ने कहा, “एक व्यापक डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में स्किल इंडिया डिजिटल, शिक्षा और कौशल विकास परिदृश्य में क्रांति लाने के लिए तैयार है। कोविड-19 महामारी के दौरान बना यह प्लेटफार्म भारत की विविध जनसांख्यिकी की कौशल आवश्यकताओं के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि सिद्ध प्लेटफॉर्म को डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के रूप में बनाया गया है, जिसमें ओपन सोर्स क्लाउड होस्टेड आर्किटेक्चर है जो अन्य देशों की कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए क्विक कॉन्फ़िगरेशन को सक्षम बनाता है। मुझे विश्वास है कि आईएलओ यूज़र इंगेजमेन्ट में सुधार, पहुंच बढ़ाने और वैश्विक देशों के साथ सहयोग को आगे बढ़ाने में सहायक है”।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज के इलाके की रहने वाली एक युवा लड़की की प्रेरक कहानी सुनाई, जिसे स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) से लाभ मिला। सुश्री गुप्ता ने कहा कि, “युवा लड़की हमेशा साइबर सुरक्षा में अपना करियर बनाने की आकांक्षा रखती थी, लेकिन संसाधनों, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रासंगिक कौशल-निर्माण के अवसरों की कमी के कारण, वह अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम नहीं थी। सिद्ध एक गेमचेंजर साबित हुआ जिसने उसे व्यक्तिगत सीखने के अनुभवों, सुव्यवस्थित वैरिफिकेशन प्रक्रियाओं और बेहतर कैरियर मार्गदर्शन के साथ सशक्त बनाया, जिससे वह अपनी आकांक्षाओं को वास्तविकता में बदल सकी”। उन्होंने आगे यह भी बताया कि सिद्ध एक तरफ जॉब सीकर्स और दूसरी तरफ एम्प्लॉयर्स दोनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक इनोवेटिन प्लेटफॉर्म बनाकर राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के “सभी के लिए, कभी भी, कहीं भी” कौशल के विज़न को आगे बढ़ाता है। यह हायरिंग को सरल बनाता है और अप्रेंटिसशिप तथा जॉब के अवसरों को खोजने योग्य बनाता है। सिद्ध भारत के स्किलिंग इकोसिस्टम में स्केल और स्पीड लाने के लिए एनएसडीसी की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण रहा है। अब तक, एनएसडीसी ने 36 मिलियन से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है, जिनमें 16.1 मिलियन से अधिक महिलाएं, 5.4 मिलियन से अधिक सामाजिक पिछड़े समुदायों के उम्मीदवार और लगभग 200 हजार से अधिक विशेष योग्यता वाले लोग शामिल हैं। नोडल एजेंसी ने 9 मिलियन से अधिक युवाओं को सफलतापूर्वक नौकरी भी दी है।
कैपेसिटी बिल्डिंग के हिस्से के रूप में, एनएसडीसी के पास 46 हज़ार से अधिक स्किल असेसर्स, 70 हज़ार से अधिक स्किल टीचर और 1 बिलियन से अधिक फाइनेंसिंग सुविधाएँ हैं। इसके अलावा, 750 से अधिक जिलों को कवर करते हुए, इसके नेटवर्क में 36 सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी) शामिल हैं जो युवाओं को इंडस्ट्री-रिलेवेंट कौशल प्रशिक्षण प्रदान करते हैं और 35 हज़ार से अधिक एम्प्लॉयर्स जॉब के अवसर प्रदान करते हैं। 2008 में अपनी स्थापना के बाद से, एनएसडीसी सरकारी निकायों, इंडस्ट्री पार्टनर्स और प्रशिक्षण प्रदाताओं सहित विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ सहयोग करके भारत के युवाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ट्रेनिंग सेन्टर्स और प्रोग्राम्स के अपने व्यापक नेटवर्क के माध्यम से एनएसडीसी, युवाओं को आईटी, हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी, मैन्युफैक्चरिंग और अन्य जैसे विभिन्न सेक्टर्स में सफल होने के लिए आवश्यक दक्षताओं से लैस कर रहा है। इंडस्ट्री-ड्रिवेन ट्रेनिंग कोर्सेज़, इंटर्नशिप और सर्टिफिकेशन प्रोग्राम पेश करके, एनएसडीसी न केवल भारत के युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ा रहा है बल्कि जॉब मार्केट में प्रचलित कौशल गैप की भी बात कर रहा है। सभी उम्र के लोगों की निरंतर स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग करना आज की दुनिया की एक आवश्यकता बन गई है। इस सन्दर्भ में, आईएलओ का मानना है कि तेजी से बदलते लेबर मार्केट को संभालने में एक सक्षम कुशल कार्यबल का निर्माण महत्वपूर्ण है।