कुछ ही दिनों में नवान्नो उत्सव आने वाला था, किसानों के चेहरों पर नई फसल की खुशियाँ थीं। लेकिन चक्रवात ‘मन्था’ के प्रभाव से उत्तर बंगाल में पिछले 48 घंटों से जारी लगातार बारिश और तेज़ हवाओं ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मालदा ज़िले में भारी तबाही मची है। हज़ारों बीघा खेतों में लगा धान पूरी तरह नष्ट हो गया है। खासकर हरिश्चंद्रपुर ब्लॉक के भिंगल ग्राम पंचायत के कोला नाज़ीरपुर गांव में जाकर देखा गया कि धान के खेतों में पानी भर गया है और फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।
क्षेत्र के अधिकांश लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। किसानों ने सूद पर कर्ज लेकर धान की खेती की थी, जिससे उनका सालभर का जीविकोपार्जन जुड़ा हुआ था। अब इस प्राकृतिक आपदा ने उन्हें आर्थिक संकट में डाल दिया है। कई किसान कैमरे के सामने आंसू नहीं रोक पाए। किसानों का कहना है —
“अगर राज्य सरकार हमें मुआवज़ा नहीं देती, तो हमारे पास जीने का कोई रास्ता नहीं बचेगा।”केवल हरिश्चंद्रपुर ही नहीं, बल्कि चांचल, सामसी और रतुआ इलाकों में भी वही हाल है। खेतों में पानी भर जाने से पकी हुई फसल सड़ चुकी है। अब पूरा मालदा ज़िला प्रशासन और राज्य सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए है — कि क्या वे इन संकटग्रस्त किसानों के लिए कोई राहत या मुआवज़े की व्यवस्था करेंगे।
