राज्य सरकार की ओर से जारी ‘स्वास्थ्य साथी कार्ड’ के बावजूद एक श्रमिक माता पिता को बेटी के इलाज के लिए पैसों की जरूरत पड़ रही है| आर्थिक रूप से कमजोर ये माता पिता पैसे के अभाव में अपनी विकलांग नाबालिग बेटी का इलाज किए बिना कोलकाता से वापस गांव वापस आ गए। घटना मालदा के हरिश्चंद्रपुर – 2 प्रखंड के सुल्तान नगर ग्राम पंचायत क्षेत्र के छत्रक गांव की है| स्थानीय सूत्रों के अनुसार दिहाड़ी मजदूर नूर सालाम इसी गांव का रहने वाला है| उनकी बेटी नूर फातेमा (9) लंबे समय से एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं। गरीब माता पिता अपनी बेटी की जटिल बीमारी का इलाज नहीं कर पा रहे हैं।
इस बीच कई महीने पहले जब यह खबर मीडिया में आयी तो तत्कालीन एसडीओ संजय पाल नूर सालाम के घर गए। उनके साथ तत्कालीन हरिश्चंद्रपुर- 2 ब्लॉक के बीडीओ पार्थ दास भी आए थे| उस समय उनकी पहल पर जिले की नूर सालाम की बेटी के लिए स्वास्थ्य साथी कार्ड जारी किया गया था| कोलकाता में सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने पर वहां उन्हें बताया गया कि इस कार्ड से मुफ्त इलाज संभव नहीं है|
उन्हें अपनी बेटी की जटिल बीमारी को ठीक करने के लिए इलाज पर पैसा खर्च करना होगा। पैसे न होने से निराश होकर गरीब दिहाड़ी मजदूर नूर सालाम हरिश्चंद्रपुर लौट आया। इधर यह सुनते ही तृणमूल जिला महासचिव बुलबुल खान नूर सालाम मौके पर पहुंचे और उनसे बातचीत कर मदद का भरोसा दिया। उन्होंने नूर सलाम के हाथों फातिमा के इलाज के लिए कुछ आर्थिक मदद सौंपी। इसके साथ ही उन्होंने बुलबुल खान ने उसे बेटी के इलाज के लिए हर संभव तरीके से परिवार के साथ रहने का आश्वासन दिया। वहीं दूसरी ओर इस घटना के चलते सियासी रंग चढ़ने में देर नहीं लगी| जिला भाजपा ने घटना को लेकर सत्तारूढ़ दल का मजाक उड़ाया है । जिला भाजपा ने इस उत्पीड़न के लिए जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है| उन्होंने कहा कि क्षेत्र का बीडीओ सो रहा है| उन्हें इस क्षेत्र की किसी भी समस्या की जानकारी नहीं है। दूसरी ओर हरिश्चंद्रपुर -2 के बीडीओ विजय गिरी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं किया ।