आंगबाड़ी केंद्र में बच्चों को दिए जाने वाली खिचड़ी में कथित तौर पर बासी चावल मिलाने से कई बच्चे बीमार हो गए। घटना के बाद आक्रोशित अभिभावकों ने आंगनवाड़ी केंद्र में खिचड़ी फेंक कर विरोध प्रदर्शन किया। मालदा के हरिश्चंद्रपुर-1 प्रखंड के पश्चिम बागमारा गांव में सोमवार को इस घटना को लेकर सनसनी फैल गई. घटना को लकर अभिभावकों ने आंगनबाड़ी कर्मी नसरीन बेगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की । ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पश्चिम बागमारा गांव के आंगनबाडी केंद्र में बच्चों को नियमित रूप से पौष्टिक भोजन नहीं दिया जाता है. आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा दिया जाने वाला भोजन खाने के उपयुक्त नहीं है. खिचड़ी में पांता भात मिला दिया जाता है. जिसे खाकर बच्चे बीमार पड़ रहे हैं । सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, बच्चों को सप्ताह में तीन दिन पूरे अंडे और सप्ताह में तीन दिन चावल और खिचड़ी के साथ आधे अंडे और गर्भवती व प्रसूति माताओं को सप्ताह में छह दिन पूरे अंडे दिए जाने चाहिए। लेकिन आंगनवाड़ी कर्मी सप्ताह में दो से तीन दिन अंडे देती है। इससे बच्चे पौष्टिक भोजन से वंचित हो रहे हैं ।
गांव के लोगों ने आरोपी आंगनबाड़ी कर्मी पर भ्रस्टाचार में पूरी तरह लिप्त रहने का आरोप लगाया । उन्होंने कहा लॉक डाउन के दौरान छह महीने से अधिक समय तक बच्चों को कोई भोजन नहीं दिया गया । एक शिकायतकर्ता रूबी खातून ने कहा कि यह केंद्र लंबे समय से बच्चों को निम्न गुणवत्ता वाला भोजन दे रहा है। खिचड़ी में बासी चावल मिलाया जाता है। खिचड़ी में आधा पानी है। कभी-कभी भोजन में कीड़े और चूहे का मल मिलता है। वह खाना खाकर बच्चे बीमार हो रहे हैं।
खाना पकाने में तेल और मसाले का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया जाता है। हालांकि आरोपी आंगनबाड़ी कर्मी नसरीन बेगम ने इन आरोपों का खंडन किया है.नसरीन बेगम ने कहा कि उनके केंद्र में 125 बच्चे हैं. करीब दो सौ मां-बाप खाना लेने आते हैं तो कभी-कभी दिक्कत होती है।