‘चक दे इंडिया’- भारत की बेटियों ने रचा इतिहास, पहली बार ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची

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टोक्यो ओलंपिक खेलों के 10वें दिन सोमवार को भारतीय महिला हॉकी टीम ने तीन बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर इतिहास रच दिया। भारत के लिए एकमात्र विनिंग गोल गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में किया। यह जीत इसलिए इतना खास है क्योंकि महिला टीम ने ओलंपिक खेलों के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई है। महिला टीम से पहले पुरुष टीम भी ग्रेट ब्रिटेन को हराकर सेमीफाइनल में जगह बना चुकी है। भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच सोर्ड मारजेन ने सोमवार को खुलासा किया कि लगातार तीन हार के बाद टीम का मनोबल टूट गया था लेकिन इसके बाद खिलाड़ियों ने आत्मविश्वास जगाने वाली फिल्म देखी, जिससे उनमें नया जोश भरा और वे पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने में सफल रहीं। भारतीय टीम ने लगातार हार के बाद शानदार वापसी की और मारजेन ने कहा कि आयरलैंड के खिलाफ करो या मरो मैच से पहले एक फिल्म देखने से टीम को मनोवैज्ञानिक रूप से मदद मिली। उन्होंने इस फिल्म के नाम का खुलासा नहीं किया।

कोच मारजेन ने जीत के बाद कहा, ‘ स्वयं पर विश्वास करने और अपने सपनों पर विश्वास करने से अंतर पैदा हुआ और यह अतीत को ध्यान में रखते हुए वास्तविकता का सामना करने से जुड़ा था। यह अहम चीज थी और हमने यही किया। अगर आप हार जाते हैं तो आप स्वयं पर विश्वास करना नहीं छोड़ते हैं और यही मैंने लड़कियों से कहा। सबसे महत्वपूर्ण उस पल में जीना होता है। मैंने उन्हें एक फिल्म दिखाई और यह फिल्म वर्तमान पल को जीने से जुड़ी थी और मुझे लगता है कि इससे वास्तव में मदद मिली। आयरलैंड के खिलाफ हम इस फिल्म का जिक्र करते रहे।’ 

मारजेन ने फिल्म का नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, ”मैंने इसका जिक्र अपनी किताब में किया है जो मैंने लॉकडाउन के दौरान भारत में अपने अनुभवों के बारे में लिखी है। भारत में आपको ऊंची सोच रखनी चाहिए और यही मैंने लड़कियों से कहा। यदि आप सर्वोच्च को लक्ष्य बनाते हो, बादल छूने का लक्ष्य बनाते हो तो आप सबसे ऊंचे पर्वत पर गिरोगे और आप पहाड़ को लक्ष्य बनाते हो तो मैदान पर गिरोगे। हमने बादलों को छूने का लक्ष्य बनाया और मैंने कहा कि इसके बाद जो कुछ होगा वह मायने नहीं रखता लेकिन हमें अपना लक्ष्य ऊंचा रखना है।’ 

भारतीय कप्तान रानी रामपाल ने टीम का भाग्य बदलने के लिए फिल्म को श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘ मुझे लगता है कि फिल्म ने वास्तव में हमारी मदद की। फिल्म ने हमें वर्तमान पल को जीने के लिए प्रेरित किया। केवल आपके सामने जो है उसके बारे में सोचने और अतीत के बारे में नहीं सोचने की सीख दी। आज कोच ने कहा कि केवल 60 मिनट पर ध्यान लगाओ, केवल 60 मिनट में भूमिका निभाओ।’