प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 104 वां जन्मदिवस का आयोजन

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महान अध्यात्म योगी थे आचार्य श्री महाप्रज्ञ- मुनि प्रशांत कुमार

सिलीगुड़ी (बंगाल)
अध्यात्म योगी प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का जन्मदिवस मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में प्रणामी मंदिर में मनाया गया। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा – आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एक महान अध्यात्म योगी संत थे। वर्षों वर्षों की उनकी योगसाधना अत्यंत गहन थी। उनकी अन्त: प्रज्ञा जागृत थी। ऐसा माना जाता रहा है कि अनेक देवी शक्तियां उनकी सेवा में रहती थी। वर्षों तक अपने शरीर पर साधना के विभिन्न प्रयोग करने के अनुभवों के पश्चात् प्रेक्षाध्यान नामक ध्यान योग पद्धति का उन्होंने अविष्कार किया। अध्यात्म योग की गहराई में पहुंच कर जो अनमोल रत्न उन्होंने प्राप्त किए उन्हें ध्यान के विविध प्रयोगों के रुप में जनता के सामने प्रस्तुत किए। भगवदगीता में बताया गया स्थितप्रज्ञता का स्वरूप उनके जीवन में साकार दिखाई देता था। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की अन्तर्प्रज्ञा जागृत थी। उनके भीतर में ज्ञान के स्रोत संभवतः खुल चुके थे। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के साहित्य का एक विशाल पाठक संसार है, जो देश के हर भूभाग में फैला हुआ है। उनका साहित्य पढ़ने वाले चाहे साहित्यकार हो , राजनितिज्ञ हो, वैज्ञानिक हो या अन्य कोई भी हर किसी को ऐसा महसूस होता है कि यह पुस्तक जैसे मेरे लिए ही लिखी गई है। हर किसी को अपनी निजी समस्या का सटीक समाधान आचार्य श्री महाप्रज्ञ के साहित्य में मिल जाता है।हजारों हज़ारों लोगों की जीवनधारा उनके साहित्य को पढ़कर ही बदल गई। हमारा गुरु के प्रति समर्पण भाव ही हमें आगे बढाता है।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा – खुले आकाश में जन्म लेने वाले बालक नत्थु ने खुले आकाश जैसी ही विराटता को प्राप्त किया।विनय और गुरु के प्रति समर्पण के तो वे मूर्तिमान स्वरूप थे। ज्ञान की इतनी गहराई, व्यक्तित्व की इतनी ऊंचाई, इतनी प्रतिष्ठा और संघ के सर्वोच्च आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किए जाने के बाद भी अहंकार उन्हें छू भी नहीं पाया। उनका विनय भाव निरन्तर बढ़ता ही रहा। गुरु के प्रति समर्पण, विनय और सम्यग् पुरुषार्थ के बल पर आगे बढ़ते गए। उनकी निश्छलता और सरलता अनुकरणीय थी। अगर वें चौथे आरे में जन्मे होते तो शायद उन्हें केवल ज्ञान हो जातामुनि श्री के मंगल मंत्रोच्चार से कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ।तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री रुपचंद कोठारी,तेरापंथ युवक परिषद् से श्री मोहित सेठिया, तेरापंथ महिला मण्डल से श्रीमती लीला बोथरा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम से श्री महावीर बैद अणुव्रत समिति,ज्ञानशाला की ज्ञानार्थी काव्या भंसाली ने गीत एवं वक्तव्य के द्वारा भावाव्यक्ति प्रस्तुत की।आभार ज्ञापन श्री नरेन्द्र सिंघी ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री कुमुद कुमार जी ने किया।