भारत में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है, ऐसे में इसके कुछ जरूरी पहलुओं पर गौर करना आवश्यक है, जिसे अक्सर खेल की दुनिया में नजरअंदाज कर दिया जाता है। और वो है स्किनकेयर। त्वचा को, शरीर का सबसे बड़ा अंग माना जाता है, जोकि एक खिलाड़ी की सेहत और परफॉर्मेस में जरूरी भूमिका निभाती है। यह खास दिन प्रतिस्पर्धा, लगन और खेल भावना के सम्मान के लिए होता है और इसके लिए एथलीट के स्किनकेयर की दुनिया में गहरी नजर डालने से बेहतर सम्मान और क्या हो सकता है।
एथलीट्स की तेज रफ्तार जिंदगी में, ट्रेनिंग और परफॉर्मेंस सबसे अहम हो जाते हैं और स्किनकेयर रूटीन कहीं पीछे छूट जाता है। हालाँकि, त्वचा की सही देखभाल नहीं करने से कुछ समस्याओं के होने का खतरा रहता है, जैसे कि मुहाँसे, रूखापन और धूप से होने वाले नुकसान। ये सारी चीजें उनकी संपूर्ण सेहत पर काफी गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।
इस लेख के माध्यम से, सेटाफिल स्किनकेयर विशेषज्ञों ने एथलीटों के स्किनकेयर के विज्ञान की गहराई से पड़ताल की है। इम्युन सिस्टम के सहयोग से त्वचा की सेहत को बेहतर बनाने के बारे में वे कुछ व्यावहारिक सुझाव साझा कर रहे हैं।
हाइड्रेशन तथा त्वचा के लचीले सुरक्षा कवच: पर्याप्त नमी के बिना लंबे समय तक पसीना निकलते रहने से त्वचा के प्राकृतिक सुरक्षा कवच को नुकसान पहुँच सकता है। इसकी वजह से त्वचा में रूखापन, पपड़ी पड़ना और अत्यधिक संवेदनशीलता की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने, तनाव, प्रदूषण और त्वचा के सुरक्षा कवच को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य कारणों से त्वचा संवेदनशील हो जाती है। नियासिनामाइड (विटामिन बी3), पैन्थेनॉल (विटामिन बी5), और ग्लिसरीन जैसे ऐक्टिव तत्वों के साथ सिटाफिल एक बेहतरीन समाधान देता है। ये सभी तत्व एक साथ मिलकर त्वचा को परेशानी से बचाते हैं, नमी को बनाए रखते हैं और सेरामाइड्स के हर वर्ग को बढ़ाने का काम करते हैं। इससे त्वचा के सुरक्षा कवच ज्यादा बेहतर तरीके से काम करने लगते हैं।
मुँहासे और दाग-धब्बों से जंग : पसीना, धूल-मिट्टी, कीटाणु और त्वचा की मृत कोशिकाएं मिलकर रोमछिद्रों को बंद कर सकती हैं, जिसकी वजह से मुँहासे और दाग-धब्बों की समस्या हो जाती है।
पर्यावरण के प्रभाव से सुरक्षा : आउटरडोर ट्रेनिंग से खिलाड़ी खतरनाक पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आते हैं, जिससे खिलाड़ियों की त्वचा क्षतिग्रस्त हो सकती है, समय पूर्व बुढ़ापा आ सकता और यहाँ तक कि त्वचा का कैंसर भी हो सकता है।
सूक्ष्म जीवाणुओं का संतुलन : पसीने की वजह से गर्म तथा नमी वाले वातावरण से हानिकारक सूक्ष्म जीवाणुओं के पनपने के लिए उपयुक्त माहौल तैयार हो जाता है। इससे फंगस या बैक्टीरिया का संक्रमण होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।