भाजपा ने लगाया बड़ा आरोप, नामांकन में ममता बनर्जी ने पांच आपराधिक मामलों की बात छिपाई

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पश्चिम बंगाल विधानसभा उपचुनाव के बीच भवानीपुर से तृणमूल की उम्मीदवार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बंगाल भाजपा ने बड़ा आरोप लगाया है। भवानीपुर से भाजपा की उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल के मुख्य चुनावी एजेंट सजल घोष ने मुख्य चुनाव अधिकारी को पत्र देकर सूचित किया है कि ममता बनर्जी ने भवानीपुर से भरे गए अपने नामांकन पत्र में  आपराधिक मामलों की बात छिपाई है, जो उन पर चल रहे हैं। उनके नामांकन पत्र की जांच की जाए।
दरअसल नंदीग्राम में भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से पराजित होने के बाद ममता बनर्जी भवानीपुर से उपचुनाव लड़ रही हैं। ममता बनर्जी के लिए यह उपचुनाव जीतना बहुत ही जरूरी है,क्योंकि यदि वह पांच नवंबर तक निर्वाचित नहीं होती हैं, तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाएगी।  भवानीपुर का उपचुनाव 30 सितंबर को होगा और मतगणना तीन अक्तूबर को होगी।

मुख्य चुनाव अधिकारी को दिये पत्र में सजल घोष ने लिखा है कि ममता बनर्जी ने भवानीपुर से नामांकन भरा है, लेकिन उन्होंने उनके खिलाफ चल रहे पांच आपराधिक मामलों खुलासा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे पांच मामले हैं जिनका उन्होंने नामांकन पत्र में उल्लेख नहीं किया है। ये सारे मामले असम के हैं। साल 2018 में असम में पांच मामले दर्ज किए गए, लेकिन उन्होंने उनका उल्लेख नहीं किया। उन्होंने चुनाव आयोग के लिखे पत्र में कहा, ‘‘मैंने चुनाव आयोग से (उनका नामांकन पत्र की जांच) अपील की है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार इस पर कार्रवाई की मांग की है।”
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि अधिकारी ने अपनी शिकायत में केस नंबर का उल्लेख किया है लेकिन तृणमूल प्रमुख ने कौन सा अपराध किया है, इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया है। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। तृणमूल कांग्रेस ने इसपर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने मार्च 2018 में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि निर्वाचन अधिकारी संपत्ति या आपराधिक पृष्ठभूमि से संबंधित सूचना का खुलासा नहीं करने पर किसी उम्मीदवार का नामांकन पत्र खारिज कर सकते हैं। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अपने उम्मीदवारों के बारे में जानना मतदाताओं का मौलिक अधिकार है और नामांकन पत्र में कॉलम को रिक्त छोड़ना उनके इस अधिकार का हनन है।