झारखंड में शराब घोटाले को लेकर राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए आईएएस अधिकारी विनय चौबे समेत चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है. सस्पेंड होने वाले अन्य अधिकारियों में उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास और पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार शामिल हैं. इन सभी का निलंबन जेल भेजे जाने की तारीख से प्रभावी होगा।
राज्य सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इन अधिकारियों को 20 और 21 मई को गिरफ्तार किया था. इसके बाद इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. अब अदालत की अनुमति से एसीबी ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को दो दिन की रिमांड पर लिया है, और उनसे गहन पूछताछ शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, एसीबी ने अधिकारियों से उनके और उनके परिजनों के नाम पर पिछले तीन वर्षों में अर्जित संपत्तियों, निवेश और उनके स्रोतों की जानकारी मांगी है. इसके साथ ही उनसे वर्ष 2022 में लागू हुई नई उत्पाद नीति और थोक कारोबार में टेंडर दिलवाने वाले सिंडिकेट से उनके संबंधों के बारे में भी पूछताछ की जा रही है।
अब तक की जांच में एसीबी को यह पता चला है कि इन अधिकारियों की साजिश के कारण झारखंड सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है. यह आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि जांच अभी जारी है. इस घोटाले की शुरुआत 2022 में नई शराब नीति लागू होने के साथ हुई थी. छत्तीसगढ़ मॉडल पर बनी इस नीति को लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकारी एजेंसी CSMSCL को कंसल्टेंट बनाया गया था. आरोप है कि कुछ खास कंपनियों को ठेका दिलवाने के लिए टेंडर की शर्तों में मनमानी बदलाव किए गए और फर्जी बैंक गारंटी के जरिए ठेके हासिल किए गए. इससे राज्य को करोड़ों की चपत लगी।