भारत बंद का बंगाल पर बहुत अधिक असर नहीं, वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सड़क और रेल किया अवरोध

210

किसानों की मांगों को लेकर वामपंथी संगठनों की ओर से सोमवार को भारत बंद का बहुत अधिक असर पश्चिम बंगाल में नहीं दिखा है। दोपहर 1:30 बजे खबर लिखे जाने तक राजधानी कोलकाता समेत पूरे राज्य के करीब हर एक बड़े बाजार-दुकान खोले हुए हैं। हालांकि कुछेक जगहों पर वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया और बंद को सफल करने की कोशिश की लेकिन प्रशासन की चुस्ती की वजह से ऐसा हो नहीं पाया।
 वामपंथी कार्यकर्ताओं ने भारत बंद के समर्थन में सोमवार को पूरे पश्चिम बंगाल में सड़कों और रेल पटरियों को जाम कर दिया, जबकि राज्य में आम जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ।
 बाजार और दुकानें हमेशा की तरह खुली रहीं, जबकि कुछ अड़चनों को छोड़कर सार्वजनिक परिवहन लगभग सामान्य रूप से चला।

सरकारी और निजी कार्यालयों में सामान्य उपस्थिति दर्ज की गई है। कोरोना से संबंधित प्रतिबंधों के कारण राज्य में शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। कोलकाता में, सीपीआई (एम) के सदस्यों ने कॉलेज स्ट्रीट, जादवपुर और श्यामबाजार फाइव-पॉइंट क्रॉसिंग पर सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, लेकिन पुलिस ने तेजी से अवरोध हटाया है। जलपाईगुड़ी, पश्चिम मिदनापुर, पूर्वी मिदनापुर, हुगली और कूचबिहार के जिला मुख्यालयों सहित राज्य के अधिकांश प्रमुख कस्बों और शहरों में सड़क जाम किया गया लेकिन हर जगह प्रशासन सख्त था जिसके कारण प्रदर्शनकारी अपने मकसद में कामयाब नहीं रहे।
 पूर्वी रेलवे के सियालदह मंडल के जादवपुर में वामपंथी कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया। हावड़ा मंडल से भी रेल जाम की खबरें आईं।

 तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर कई स्थानों पर कांग्रेस कार्यकर्ता भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हुए।
 हालांकि राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस 12 घंटे के बंद से दूर रही, लेकिन उसने संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों का समर्थन किया, जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।
 एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।