परम्परागत साधनों से आगे : ज्यादा कुशल मोबिलिटी समाधानों के लिए भारत की ज़रूरत

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भारत शहरीकरण की बदलाव लाने वाली लहर में सबसे आगे है। अत्‍याधुनिक बुनियादी सुविधायें अनिवार्य हैं, विशेषकर कार्यकुशल सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के क्षेत्र में यह अपरिहार्य है। ऑटोमोटिव उद्योग के लिए भारत के मास मोबिलिटी समाधानों के आधुनिकीकरण की ज़रूरत को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। आज सामूहिक परिवहन के लिए सार्वजनिक परिवहन में स्मार्ट बसों को शामिल करना और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने सहित ज्यादा कुशल गतिशीलता को अपनाने की ज़रूरत है। विशेषकर इलेक्ट्रिक बसें स्मार्ट मोबिलिटी समाधान के रूप में उभर कर सामने आई हैं जो न केवल व्यवसायों और नियमित आने-जाने वालों की लगातार बदलती ज़रूरतों को पूरा करती हैं, बल्कि भारत के सस्टेनेबिलिटी एजेंडा में भी योगदान करती हैं।

इस सम्बन्ध में, भारत घनी आबादी वाले दूसरे पड़ोसी देशों से सीख सकता है। उदाहरण के लिए चीन में जहाँ आधुनिक बसों ने मोबिलिटी सेक्टर को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। इस देश में प्रति 10,000 लोगों पर 60 बसें हैं, जबकि भारत में प्रति 10,000 पर चीन के मुकाबले केवल एक-चौथाई बसें हैं। यह अंतर भारतीय सड़कों पर बसों की संख्या बढ़ाने की ज़रुरत पर जोर देता है। तेजी से हो रहे शहरीकरण को देखते हुए, यातायात की भीड़-भाड़ और बढ़ते वायु प्रदूषण को ठीक करने के लिए सार्वजनिक परिवहन में बढ़ोतरी एक ठोस समाधान है। इसके अलावा, आधुनिक सार्वजनिक परिवहन नियमित यात्रियों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि वे किफायती, सुविधाजनक होते हैं और लोगों के निजी परिवहन एवं ईंधन की बढ़ती कीमत से राहत पहुँचाते हैं।

इलेक्ट्रिक परिवहन समाधान में वृद्धि से भारत इसी प्रकार रास्ता अपना कर अपने परिवहन परिदृश्य में बुनियादी बदलाव कर सकता है। एक स्मार्ट मोबिलिटी समाधान के रूप में इलेक्ट्रिक बसें न केवल उपयोग करने वालों के लिए, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर और देश के लिए भी अनेक प्रकार से फायदेमंद हैं। वे वाहन के हानिकारक उत्सर्जन को कम करती हैं, वायु प्रदूषण दूर करती हैं और सामान्य पर्यावरण को बेहतर बनाती हैं।