B`Day: जब सुरों की देवी Lata Mangeshkar को दिया गया था जहर…

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सुरीले गानों की बात हो तो हमारे दिमाग में सबसे पहले जिस चेहरे की छवि बनती है वो हैं हमारी स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar). इंडियन सिनेमा का आज जो रूप है और यहां की फिल्मों में गानों की जो मुख्य भूमिका है उसमें लता मंगेशकर का जो योगदान है उसे कौन नकार सकता है. इंडियन क्लासिकल हो या कैबरे सॉग या फिर गम में डूबी किसी नायिका का दर्द, सभी कुछ लता दीदी की आवाज में पूरी तरह ढल जाता है. इसलिए अगर आज हम उन्हें सुरों की देवी का साक्षात रूप कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सुरों की देवी को जान से मारने की साजिश भी हो चुकी है. जी हां 33 साल की उम्र में लता ने इस विश्वासघात को झेला था.

कम ही लोग जानते हैं कि लता मंगेशकर को उनके करियर की ऊंचाईयों पर पहुंचा देख कोई इतना भी जल उठा था कि उन्हें जान से मारने की कोशिश तक करने से बाज नहीं आया. 1962 में जब लता मंगेशकर 33 साल की थीं तो उन्हें धीमा जहर दिया गया था. लेखिका पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में इस बात को विस्तार से लिखती हैं. पद्मा सचदेव ने अपनी किताब में लिखा कि ‘लता जी जब 33 साल की थीं तो उन्होंने मुझे ये बात बताई थी. एक दिन सुबह उनके पेट में तेज दर्द होने लगा. थोड़ी देर में उन्हें दो-तीन बार उल्टियां हुईं. जिसमें हरे रंग की कोई चीज थी. उन्होंने बताया कि वो बिल्कुल चलने की हालत में नहीं हैं. उनके पूरे शरीर में तेज दर्ज होने लगा.’

पद्मा सचदेव ने आगे लिखा कि ‘इस स्लो प्वॉइजन की वजह से लता मंगेशकर बेहद कमजोर हो गई थीं. उन्होंने तीन महीने तक बेड रेस्ट किया और कोई गाना नहीं गा पाईं. उनकी आंतों में दर्द रहता था. खाने में भी बेहद सावधानी बरतनी पड़ती थी. उन दिनों लता मंगेशकर केवल ठंडा सूप ही लेती थीं.’

लता मंगेशकर को जहर देने वाले का नाम आज भी रहस्य ही है, लेकिन बताया जाता है कि उस घटना के बाद से लता जी का कुक फरार हो गया था, जिसके बाद वो कभी अपना बाकी बचा वेतन लेने भी नहीं आया. उस कुक ने लता मंगेशकर के पहले भी कई घरों में काम किया था.