पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के विश्वप्रसिद्ध मुखौटा ग्राम चड़ीदा में इस बार भी दुर्गा पूजा को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। यहां की चड़ीदा षोलोआना दुर्गा पूजा हर साल की तरह इस बार भी पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ा आकर्षण बनने जा रही है। ग्रामीणों में लगभग 70% लोग मृत्तिका कलाकार (मिट्टी की मूर्ति और मुखौटा बनाने वाले) हैं। यही वजह है कि हर साल यहां की दुर्गा प्रतिमा और मंडप सज्जा में देखने को मिलता है नवाचार और कलात्मकता का अद्भुत संगम।
इस वर्ष चड़ीदा सोलोआना दुर्गा पूजा अपना 43वां वर्ष मना रही है। प्रतिमा निर्माण में व्यस्त स्थानीय कलाकार राधा गोविंद दत्त ने बताया कि हर बार कुछ नया दिखाने की कोशिश रहती है, और इस बार भी वैसा ही कुछ खास तैयार किया जा रहा है। पूजा समिति के अध्यक्ष प्रधान राय ने कहा, “यह पूजा सिर्फ गांव वालों की नहीं, आसपास के गांवों और दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों की भी है। उनकी उम्मीदों व रुचियों को ध्यान में रखकर ही सजावट और प्रतिमा का निर्माण हो रहा है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूजा पूरी तरह सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए होती है और समय-समय पर रिपोर्ट भी जमा की जाती है, जिससे सरकारी अनुदान भी प्राप्त होता है।इस पूजा का सबसे बड़ा आकर्षण द्वादशी के दिन होने वाला ‘रावण दहन’ है, जो पूरे इलाके में प्रसिद्ध। फिलहाल गांव में पूजा की तैयारियाँ जोरों पर हैं—प्रतिमा निर्माण से लेकर मंडप सजावट तक सब कुछ अंतिम चरण में। अब बस महालया के दिन से मां दुर्गा की आराधना शुरू होने का इंतजार है।
