एडवर्टाइजिंग स्टैण्डर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने “भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग की जांच” (एक्ज़ामिनिंग ओपिनियन ट्रेडिंग इन इंडिया) शीर्षक से एक श्वेतपत्र जारी किया है, जिसमें ओपिनियन ट्रेडिंग/प्रेडिक्शन मार्केट्स के उभरते क्षेत्र और इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में नियामकीय स्पष्टता की आवश्यकता पर रौशनी डाली गई है। नेशनल इनिशिएटिव फॉर कंज्यूमर इंटरेस्ट (एनआईसीआई) के अनुसार, इन प्लेटफॉर्म्स पर 50 मिलियन से अधिक यूजर्स हैं और वार्षिक लेनदेन 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है। ओपिनियन प्लेटफॉर्म यूजर्स को खेल से लेकर राजनीति तक के वास्तविक दुनिया की घटनाओं के बाइनरी (हां/नहीं) परिणामों पर मौद्रिक दांव लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। वैश्विक स्तर पर, ओपिनियन ट्रेडिंग को या तो वित्तीय साधन के रूप में या जुआ कानूनों के तहत नियंत्रित किया जाता है। भारत में, सेबी ने 29 अप्रैल 2025 को एक सलाह जारी की है, जिसमें जनता को सावधान किया गया है कि “… ओपिनियन ट्रेडिंग सेबी के नियामकीय दायरे में नहीं आती, क्योंकि जो ट्रेड किया जा रहा है वह सिक्योरिटी नहीं है…”। कई जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं और अदालतें भी देश में इसकी स्थिति का मूल्यांकन कर रही हैं।
एएससीआई को पता चला है कि वैश्विक और स्थानीय कंपनियां, साथ ही सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोग (इन्फ्लुएंसर्स), ओपिनियन ट्रेडिंग को ज्ञान और कौशल वाले खेल के रूप में प्रचारित करते हैं। लेकिन इन पोस्ट्स का विश्लेषण करने से सामने आया है कि कुछ पोस्ट पूरी तरह से अनुमान पर आधारित हैं और खासकर युवाओं व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए वित्तीय नुकसान का खतरा पैदा कर सकते हैं। एएससीआई ने भारत में ऐसी गतिविधियों की कानूनी स्थिति पर नियामकीय स्पष्टता की मांग की है। यदि ऐसी गतिविधियों और उनके विज्ञापनों की अनुमति दी जाती है, तो उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए विशिष्ट विज्ञापन दिशानिर्देश विकसित करने की आवश्यकता है। हालांकि, यदि ऐसी गतिविधियों को कानूनी रूप से अनुमति नहीं हैं, तो सभी हितधारकों को कानून के उल्लंघन की निगरानी के लिए तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
ओपिनियन ट्रेडिंग की कानूनी स्थिति पर स्पष्टता की मांग करने के अलावा, श्वेतपत्र में वर्तमान विज्ञापन प्रथाओं और मौजूदा कानूनों को लागू करने की योग्यता पर प्रकाश डाल गया है, साथ ही इसमें अन्य देशों में समान सेवाओं के लिए नियामकीय दृष्टिकोणों की जांच भी की गई है। सुश्री मनीषा कपूर, एएससीआई की सीईओ और महासचिव, ने कहा, “ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म चिंता का विषय हैं क्योंकि ये कई बार सट्टेबाजी जैसे लगते हैं और लोगों को बड़े वित्तीय नुकसान का खतरा हो सकता है। इनके विज्ञापन जोखिम को और बढ़ाते हैं, आसान कमाई के बड़े-बड़े दावे करते हैं और भरोसे की गलत गारंटी देते हैं। इनमें कोई चेतावनी या सावधानी का संदेश नहीं होता। एएससीआई के श्वेतपत्र में इन खतरों के बारे में बताया गया है और इसमें जल्द से जल्द स्पष्ट नियम बनाने की मांग की गई है ताकि लोगों को नुकसान से बचाया जा सके।”
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