सीईईडब्ल्यू अध्ययन में पाया गया कि स्मार्ट मीटर के 30% प्रीपेड उपयोगकर्ता महीने में एक से अधिक बार रिचार्ज करते हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश (38%) में सबसे अधिक हिस्सेदारी है। उपभोक्ताओं ने सह-लाभों की सूचना दी जैसे कि बिजली के खर्चों पर नियंत्रण की अधिक भावना, बिजली की चोरी में कमी और बिजली की आपूर्ति में सुधार के बारे में कहा है।
12% उपभोक्ताओं ने बताया कि कनेक्शन कटने, नकदी प्रवाह की समस्या और डिजिटल भुगतान में बाधाओं के कारण बिलों का भुगतान करना मुश्किल हो गया है। सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में सिफारिश की गई है कि साइबर खतरों के प्रति भेद्यता को कम करने के लिए एएमआई अनुबंधों को राज्यों में एक समान होना चाहिए, और डिस्कॉम और विक्रेताओं द्वारा सूचना प्रकटीकरण के लिए प्रोत्साहन को नियामकों द्वारा मजबूत किया जाना चाहिए।
इंटेलीस्मार्ट के सहयोग से ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) में आयोजित ‘डिजिटल और जन-केंद्रित बिजली क्षेत्र के लिए स्मार्ट-मीटर्ड इंडिया पर राष्ट्रीय संवाद’ में, श्री आर.के. सिंह, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और नए एंड रिन्यूएबल एनर्जी ने कहा, “आगे, हम लगभग सभी स्मार्ट मीटर को प्रीपेड होने की कल्पना करते हैं। यह डिस्कॉम के वित्तीय बोझ को काफी कम कर देगा क्योंकि प्रीपेड मीटरिंग से उनके संचालन के वित्तपोषण की लागत कम हो जाती है। स्मार्ट मीटर बिजली की लागत को 2-2.5 फीसदी तक कम करने में मदद करेंगे।