भारत के वृद्ध वयस्कों को टीके से रोके जा सकने वाले रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण आवश्यक है

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) स्वस्थ उम्र बढ़ने को “कार्यात्मक क्षमता को विकसित करने और बनाए रखने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करता है जो वृद्धावस्था में अच्छे स्वास्थ्य को सक्षम बनाता है।” डब्ल्यूएचओ ने अपने ‘स्वस्थ उम्र बढ़ने के दशक – बेसलाइन रिपोर्ट -2020’ में वयस्क टीकाकरण को बढ़ते हुए उम्र मै अच्छा स्वास्थ्य की रणनीतियों में से एक के रूप में मान्यता दी है।

भारतीय आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, जहा 50 वर्ष से अधिक आयु के 404 मिलियन लोगों के 2036 में बढ़कर 404 मिलियन होने की उम्मीद है। इससे निमोनिया, इन्फ्लूएंजा और दाद जैसे संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है, जो उम्र बढ़ने वाले वयस्कों के लिए हानिकारक हो सकता है। शिंगल एक वायरल बीमारी है जो श्रम दर्द के समान दर्दनाक दाने का कारण बनती है, और दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप कर सकती है और देखभाल करने वालों पर निर्भरता बढ़ा सकती है। डॉ. भबानी प्रसाद चक्रवर्ती क्लिनिक, गुवाहाटी में अभ्यास करने वाले रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. भबानी प्रसाद चक्रवर्ती कहते हैं, “मैं हर महीने 50 साल और उससे अधिक के 350-400 रोगियों को देखता हूं, और मैं उन्हें बढ़ते हुए उम्र मै अच्छा स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक टीकाकरण कराने की सलाह देता हूं।”

गैर-संचारी रोग (एनसीडी) जैसे हृदय रोग, पुरानी सांस की बीमारियां और मधुमेह भारत के रोग बोझ में योगदान करते हैं, जिससे अस्पताल में भर्ती होने और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।