स्वाोस्य् के क्षेत्र में हृदय और डायबिटीज के बीच का रिश्ताम महत्वतपूर्ण होता है। यह दोनों स्थितियाँ अपना प्रभाव डालती हैं और उन तरीकों में गहराई से जुड़ी हैं, जो लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं।
डायबिटीज पर प्रभावी नियंत्रण के लिये, ग्लू कोज के स्त र की नियमित निगरानी महत्व्पूर्ण है। इसके लिये कंटिन्यू अस ग्लू्कोज मॉनिटरिंग (सीजीएम) उपकरणों का इस्तेामाल किया जा सकता है, जिनमें ग्लूवकोज लेवल का पता लगाने के लिये उंगली पर प्रिक नहीं करना पड़ता है। ऐसे उपकरणों में उपयोगी मापक होते हैं, जैसे कि टाइम इन रेंज (टीआईआर), जो दिन का वह समय बताता है, जब आपके ग्लूउकोज लेवल्सय एक तय सीमा में होते हैं। जब व्ययक्ति का टाइम इन रेंज ज्या दा होता है, तब कार्डियोवैस्कुीलर बीमारी होने का जोखिम कम हो जाता है। टीआईआर में 10% बढ़त आपकी कैरोटिड आर्टरीज के असामान्य रूप से मोटी होने का जोखिम 6.4% तक कम कर सकती है। इसलिए कार्डियोवैस्कुीलर बीमारियों से बचने के लिये ज्यादा टीआईआर हासिल करना महत्वतपूर्ण है।
डॉ. पी.के. हाजरा, हृदयरोगविशेषज्ञ, एएमआरआईअस्पताल, कोलकाता,के अनुसार, “भारत में डायबिटीज के साथ जी रहे लोगों में दिल की बीमारियों का पता चला है। यह भी बेहद चिंताजनक है कि कम उम्र के लोगों में भी इन बीमारियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। डायबिटीज पर सही नियंत्रण न होने से कार्डियोवैस्कुमलर बीमारियों के जोखिम के कारक तेज हो सकते हैं, जैसे कि हाई ब्लोड प्रेशर, खराब कोलेस्ट्रॉनल और हाई ट्राइग्लिसराइड्स। इसलिए लोगों का अतिरिक्ता सावधानी बरतना और रोकथाम के कदम उठाना काफी महत्व्पूर्ण है, ताकि ग्लूरकोज में उतार-चढ़ाव न हो। दिल के लिये अच्छार आहार लेना, नियमित व्यारयाम करना और सीजीएम जैसे ग्लू्कोज पर लगातार नजर रखने वाले उपकरणों का इस्तेथमाल करना उन महत्व पूर्ण उपायों में शामिल हैं, जिन्हेंर अपनाया जा सकता है।”