ब्रेस्ट कैंसर की जांच के बाद शरीर के बाकी हिस्सों में काफी तेजी से फैलने वाला यह मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर मरीजों के लिए काफी अहसनीय स्थिति और भारी बोझ उत्पन्न कर सकता है। इससे उनको शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर कई परेशानियों, दर्द और से बेचैनी से गुजरना पड़ता है। जीवन में अनिश्चितिता के डर और अनिष्ट की आशंका के बीच उनके लिए भावनात्मक रूप से काफी बदतर स्थिति बन जाती है। हालांकि कई कारकों से मरीज को अपनी स्थिति को अपनी जरूरतों के अनुसार मैनेज करने में मदद मिल सकती है। वह जरूरत पड़ने पर थेरेपी के आधुनिक विकल्पों की मदद ले सकते हैं। कोलकाता के एडवांस्ड मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट की कैंसर विशेषज्ञ डॉ. चंचल गोस्वामी ने कहा, “जहां तक मेरा अनुभव है, ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करा रहे 80 फीसदी मरीज किसी न किसी डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। अनजानी और लगातार अस्थिरता की स्थिति के साथ पारंपरिक इलाज के साइड इफेक्ट्स मरीज में बेचैनी, दुविधा और डिप्रेशन की स्थिति को बढ़ा देते हैं। हालांकि कुछ नई एडवांस्ड थेरेपी है, जिससे मरीजों को इलाज के साइड इफेक्ट से बचाने में मदद मिल सकती है। ट्रीटमेंट से मरीज की मानसिक सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसमें मरीज की भूख का कम होना, बाल झड़ना समेत कई अन्य साइड इफेक्ट शामिल हैं, लेकिन कई ऐसे तरीके हैं, जिससे मरीज बेहतर महसूस कर सकते हैं और उनकी संपूर्ण सेहत में सुधार आ सकता है। मरीजों को थेरेपी, अलग-अलग सहायता समूहों में शामिल होकर, उचित परामर्श के साथ दिमाग को सक्रिय और स्वस्थ रखने से कैंसर मरीजों की देखभाल बेहतरीन तरीके से करने में मदद मिल सकती है।”
स्तन कैंसर के शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने के जोखिम के साथ जिंदगी बिता रहे मरीजों की बेचैनी और डिप्रेशन को कम करने के यहां कुछ तरीके दिए गए हैं-
- मरीज अपने लिए सही ट्रीटमेंट का चुनाव करें : कैंसर के इलाज के हर विकल्प के साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। उदाहरण के लिए अगर कीमोथेरेपी से किसी मरीज के बाल झड़ते हैं तो उसे तनाव हो सकता है। इसलिए ऐसे इलाज को चुनना बेहद महत्वपूर्ण है, जो मरीज की भावनात्मक सेहत के लिए भी कारगर हो। इलाज के विकल्पों के बारे में डॉक्टरों से विस्तार से बातचीत भी काफी अहम है। इससे मरीजों के लिए ऐसी थेरेपी चुनने में मदद मिलती है, जिसका लक्ष्य उनकी मानसिक सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव को कम से कम रखना होता है। इससे मरीज इलाज के तरीकों के बेहतर असर की उम्मीद कर सकते हैं।
2. प्रोफेशनल सपोर्ट हासिल करें : प्रोफेशनल थेरेपिस्ट और काउंसलरों से जुड़कर मरीज बेहद महत्वपूर्ण भावनात्मक सहयोग हासिल कर सकते हैं और अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार इलाज की तकनीक को अपना सकते हैं। इससे व्यक्ति इस बीमारी में समय-समय पर सामने आने वाली नकारात्मक भावनाओं, डर और अनिश्चितता को काबू में रख सकते हैं। इससे उन्हें अपनी भावनाएं जाहिर करने के लिए और उन्हें बेहतर ढंग से नियंत्रित करने के लिए एक सुरक्षित जगह मिल जाती है।
- सपोर्ट ग्रुप में शामिल हों-कैंसर के मरीजों का उन लोगों के साथ जुड़ना, जो इसी तरह की चुनौतियां झेल रहे हैं, उन्हें मानसिक मजबूती और आराम प्रदान करने वाला होता है। सपोर्ट ग्रुप्स से कैंसर के मरीजों को एक साथी मिलने का अहसास होता है, जहां वह अपने अनुभव शेयर कर सकते हैं। बीमारी को काबू में रखने के तरीकों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। उन्हें इस दिशा में उन लोगों से काफी प्रोत्साहन मिलता है, जो वास्तव में कैंसर के मरीज की यात्रा को समझते हैं।
- कैंसर के मरीज ध्यान करें : कैंसर के मरीजों का दिमाग सक्रिय रहना बहुत आवश्यक है। अपनी सांस, आसपास के माहौल और अपने शरीर पर नियंत्रण रखकर मरीज अपनी तनाव और बेचैनी को कम कर सकते हैं। मानसिक रूप से सक्रिय और सतर्क रहने की तकनीक से उन्हें अच्छा महसूस कराने और शांत रखने में मदद मिलती है। जब मरीज बहुत ज्यादा भावुक और बेचैन हो जाए तो स्वस्थ मस्तिष्क के लिए ध्यान, योग और गहरी सांसें लेना बेहद महत्वपूर्ण है।
5. अपना ध्यान रखना बेहद जरूरी : मरीज के लिए इस समय शारीरिक और भावनात्मक रूप से अपना ध्यान रखना बहुत जरूरी है। मरीज को पौष्टिक भोजन करना चाहिए। हल्के-फुल्के व्यायाम के साथ मरीजों को पूरा आराम करना चाहिए। उन चीजों पर अपना ध्यान लगाना चाहिए, जो उन्हें अच्छी लगती है। इसमें पढ़ना, संगीत सुनना और आरामदायक ढंग से स्नान करना शामिल है। अपनी देखभाल करने से उनका मूड अच्छा रहेगा और उनकी संपूर्ण सेहत में सुधार आएगा।