जॉनसन्स बेबी के निर्माता ने नवजात शिशुओं की पहले मिनट से सुरक्षा करने के लिए पिछले 16 साल में प्रशिक्षित किए 2 लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मी के प्रशिक्षण का समर्थन किया

हर मां अपने बच्चे के जन्म के पहले क्षणों की मीठी यादें हमेशा संजोकर रखती है, जैसे, बच्चे का पहली बार रोना, पहला स्पर्श, पहली बार बच्चे को देख पाना। दुर्भाग्य से, कुछ माताएं इस अनुभव से वंचित रह जाती हैं, खास तौर पर जन्म के समय सांस अटक जाने जैसी स्थितियों में, जो समय से पहले मौत का कारण बनती हैं। पीढ़ियों से माता-पिता के साथ साझेदारी निभाते रहे ब्रांड, जॉनसन्स बेबी ने पिछले 16 साल से एक प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ संघ द्वारा संचालित नवजात पुनर्जीवन (नियोनेटल रिससिएशन प्रोग्राम- एनआरपी) प्रशिक्षण का समर्थन कर रहा है। यह पहल जॉनसन्स बेबी की जीवन के पहले क्षण से शिशुओं की सुरक्षा में प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

भारत में हर साल 1.2 लाख नवजात शिशु जन्म के 24 घंटे के भीतर ही मौत के शिकार हो जाते हैं, जिनमें भारत में जन्म के समय सांस अटकने (बर्थ एस्फिक्सिया) जैसी गंभीर स्थितियों का प्रमुख योगदान है। इस स्थिति में नवजात शिशु जन्म के समय सांस नहीं ले पाता है, जो जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है और यदि बच्चा बच भी जाए तो किसी न किसी तरह की स्थाई अक्षमता पैदा हो सकती है। उत्तर प्रदेश और बिहार ने नवजात शिशु मृत्यु दर कम करने में अच्छी प्रगति की है, लेकिन इसे और कम करना अभी भी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बनी हुई है। जन्म होने के पहले मिनट में उचित हस्तक्षेप से जीवित रहने की संभावना 50% तक बढ़ सकती है।

जॉनसन्स बेबी के निर्माता भारत में जन्म के समय सांस अटकने के कारण नवजात शिशुओं की होने वाली मृत्यु की दर कम करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को नवजात पुनर्जीवन (नियोनेटल रिससिएशन) प्रशिक्षण प्रदान करने वाले प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ संघ का समर्थन कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत 2 लाख से अधिक नर्स, दाई और बाल  रोग विशेषज्ञों को ज़रूरी ज्ञान, कौशल और आपातकालीन स्थिति संभालने की तकनीकें सिखाई गई हैं, ताकि शिशुओं की जान बचाई जा सकें।

By Business Bureau