पश्चिम बंगाल में आसन्न 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले महान स्वतंत्रता सेनानी और बंगाल के सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारों के लिए प्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के मौके पर उनके अंतर्ध्यान होने से संबंधित रहस्यों के उद्घाटन के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की घोषणा कर दी थी। अब केंद्र सरकार ने भी एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई है। हालांकि इस कमेटी का काम एक साल तक नेताजी के स्मरण उत्सव से संबंधित कार्यक्रमों की निगरानी करना है। इसके पहले 2016 के विधानसभा चुनाव के समय भी केंद्र सरकार ने नेताजी से संबंधित कुछ फाइलों को सार्वजनिक किया था और राज्य सरकार ने भी राज्य के अधीन फाइलों को उजागर किया था। आजादी के बाद से ही लगातार नेताजी से संबंधित फाइलें सार्वजनिक करने की मांग होती रही थीं लेकिन 70 सालों तक किसी को सुभाष चंद्र बोस ना तो याद आए और ना ही उनके रहस्य से पर्दा उठा था। लेकिन अब दोनों ही सरकारें इसे लेकर सक्रिय हो गई हैं।
इसके पहले नेताजी बोस के बारे में बोलते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “भारत हमेशा सुभाष चंद्र बोस के प्रति उनकी बहादुरी और उपनिवेशवाद का विरोध करने में अमिट योगदान के लिए आभारी रहेगा। वह एक ऐसे शूरवीर थे, जिन्होंने प्रत्येक भारतीय को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध किया कि वह सम्मान का जीवन जीते हैं।
अब केंद्र की नवगठित उच्च स्तरीय समिति 23 जनवरी, 2021 से शुरू होने वाले एक वर्ष के स्मरणोत्सव के लिए गतिविधियों पर निर्णय करेगी।
उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। खास बात यह है कि वह जनवरी महीने की 12 तारीख को एक बार फिर पश्चिम बंगाल आने वाले हैं। इस वर्ष को श्रधांजलि वर्ष रूप में आयोजित किया जा रहा है और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के महान योगदान के लिए आभार के रूप मनाया जाएगा।
उच्च स्तरीय स्मारक समिति के सदस्यों में विशेषज्ञ, इतिहासकार, लेखक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य और साथ ही आजाद हिंद फौज, आईएनए से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होंगे। यह समिति दिल्ली, कोलकाता और नेताजी और आजाद हिंद फौज से जुड़े अन्य स्थानों पर, जो भारत के साथ-साथ विदेशों में भी है, की गतिविधियों के लिए मार्गदर्शन करेगी।
इसके पहले ऐतिहासिक विक्टोरिया मेमोरियल भवन में कोलकाता में एक स्थायी प्रदर्शनी और नेताजी पर एक लाइट एंड साउंड शो की स्थापना की योजना बनाई गई है।
2015 में, भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित फाइलों को हटाने और उन्हें जनता के लिए सुलभ बनाने का निर्णय लिया। 4 दिसंबर 2015 को 33 फाइलों की पहली लॉट को डिक्लेयर किया गया था। लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के लिए 23 जनवरी 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेताजी से संबंधित 100 फाइलों की डिजिटल प्रतियां जारी की गई थीं।
2018 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की अपनी यात्रा के दौरान, नेताजी बोस द्वारा तिरंगा फहराने की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद की सरकार को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान द्वीपों का प्रशासन किया। प्रधानमंत्री ने अंडमान और निकोबार में 3 द्वीपों का नाम बदला। रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभास चंद्र बोस द्वीप रखा गया; शहीद द्वीप के रूप में नील द्वीप; और स्वराजद्वीप के रूप में हैवलॉक द्वीप को नाम दिया गया था। इसके बाद कुछ दिनों पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नेताजी कारणों से संबंधित राज उजागर करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की घोषणा की थी जिसके बाद से केंद्र से भी कुछ ऐसी ही उम्मीद थी। आखिरकार अब केंद्र ने भी एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्णय लिया है।