राम मंदिर के लिए जमीन खरीदने में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा है

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जिन भगवान राम के नाम पर आदर्श राज्य व्यवस्था को राम राज्य का नाम दिया, उसी भगवान का मंदिर बनाने में घोटालों के आरोप हैं. समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने अयोध्या में मीडिया के सामने रजिस्ट्री के दस्तावेज पेश कर आरोप लगाया कि रामजन्मभूमि की जमीन से लगी एक जमीन पुजारी हरीश पाठक और उनकी पत्नी ने 18 मार्च की शाम सुल्तान अंसारी और रवि मोहन को दो करोड़ में बेची थी. वही जमीन सिर्फ चंद मिनट बाद चंपत राय ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट की तरफ से 18.5 करोड़ रुपये में खरीद ली.

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर राजनीति अपने चरम पर है. विपक्षी दलों ने मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. अब इस मामले में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने एक बयान जारी कर सफाई दी है. उन्होंने विपक्षी दलों के आरोपों को राजनीति से प्रेरित और झूठ करार दिया है. चंपत राय ने अपने बयान में कहा कि मंदिर परिसर को वास्तु अनुसार सुधारने, यात्रियों के लिए आने-जाने का रास्ता ठीक करने और मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से छोटे-बड़े मंदिरों और मकानों को पूर्ण सहमति से खरीदा गया था. जमीन के दाम 2 करोड़ से बढ़ कर 18 करोड़ होने के आरोपों पर चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में जमीन खरीदने वालों की संख्या बढ़ गयी थी.

इससे पहले समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे और अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडे ने अयोध्या में चंपत राय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. सपा के अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी ट्रस्ट पर घोटाले के आरोप लगाए हैं. 

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्रस्ट पर आरोप लगाते हुए हा कि चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ की जमीन 18 करोड़ में खरीदी. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सीधे-सीधे धन शोधन का मामला है और सरकार इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराये.