पश्चिम बंगाल: ओवैसी ने की ममता के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की पेशकश, बोले- बीजेपी को हराने में करूंगा मदद

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बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के समीकरण बिगाड़ते हुए शानदार ओपनिंग के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) ने ममता बनर्जी के गढ़ पश्चिम बंगाल पर अपनी निगाहें टिका दी हैं. इस कड़ी में पार्टी ने पश्चिम बंगाल के 23 में से 22 जिलों में अपनी पैठ बना ली है और वहां पर तेज़ी से भावी प्रत्याशियों का चयन भी शुरू किया जा रहा है. यही नहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने पहला दांव भी चल दिया है. ओवैसी ने ममता के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की पेशकश करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने में तृणमूल कांग्रेस की मदद करेगी.

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 5 सीटें जीतने के बाद एआईएमआईएम का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है। ऐसे में ओवैसी ने ऐलान किया था कि वह पश्चिम बंगाल चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारेंगे। एआईएमआईएम की नजर अल्पसंख्यक आबादी वाले मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर पर है।

ओवैसी का टीएमसी को समर्थन वाला बयान ऐसे समय पर आया है कि जब हाल ही में ममता बनर्जी ने एआईएमआईएम पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोलते हुए कहा था कि कुछ बाहरी लोगों को परेशान और आतंकित करेंगे। इसी के साथ उन्होंने राज्य की जनता से बाहरियों का विरोध करने का आग्रह किया था।

बता दें कि बंगाल चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री को टीएमसी खतरे के रूप में देख रही है। दरअसल इस बार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और टीएमसी के बीच होना तय है। वहीं बंगाल कांग्रेस और लेफ्ट की भी लड़ाई ममता से ही है। ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी बंगाल में मजबूती से उतरती है तो इसका सीधा नुकसान ममता को ही झेलना पड़ सकता है।

टीएमसी सांसद सौगता रॉय ने दावा किया था कि एआईएमआईएम को भगवा पार्टी ने टीएमसी के वोट-प्रतिशत को कम करने के लिए लगाया है, जबकि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि ओवैसी की पार्टी का लक्ष्य ध्रुवीकरण का है। अधीर रंजन ने कहा था लेकिन पश्चिम बंगाल आजादी के बाद से ध्रुवीकरण और सांप्रदायिकता की राजनीति को नकारता रहा है।

अधीर रंजन ने इससे पहले एआईएमआईएम को बीजेपी की बी-टीम भी बताया था और कहा था कि उनका केवल एकमात्र लक्ष्य मुस्लिम वोटों का बंटवारा और सेक्युलर दलों को नुकसान पहुंचाना है।

बंगाल चुनाव में ओवैसी की पार्टी की एंट्री ने राजनीतिक दलों की चिंता और बढ़ा दी है। विधानसभा चुनाव में साथ मिलकर लड़ने का फैसला लेने वाली सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने मंगलवार रात को बैठक की। बैठक में अगले विधानसभा चुनाव की रणनीति निर्धारित करने को लेकर चर्चा हुई।

दोनों दलों ने अल्पसंख्यक समुदाय के जाने-माने व्यक्तित्व और सामुदायिक नेताओं तक पहुंचने की योजना बनाई है। दोनों दलों ने मिलकर 18 दिसंबर को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक दिवस पर विशेष कार्यक्रम के आयोजन का भी फैसला किया है।