तहलका पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल को एक सहकर्मी के साथ बलात्कार के मामले में दोषमुक्त करार दिया है.
पीड़िता का आरोप था कि नवंबर, 2013 में तहलका मैगज़ीन की तरफ़ से गोवा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान तरुण तेजपाल ने उनके साथ लिफ्ट में बदसलूकी की.आरोप की गंभीरता को देखते हुए तेजपाल के ख़िलाफ़ रेप (आइपीसी की धारा 376 के तहत) का मुकदमा दर्ज करके उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया था और सात महीने जेल में बिताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी. तरुण तेजपाल ऐसे दूसरे हाई-प्रोफाइल भारतीय पत्रकार हैं, जिन्हें हाल के महीनों में लैंगिक दुर्व्यवहार के एक मामले में गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ा है.
उन्होंने कहा कि उनके ख़िलाफ़ ये मामला गोवा में बीजेपी सरकार के “राजनीतिक प्रतिशोध” का हिस्सा है, जब ये मामला सामने आया उस वक़्त दिल्ली की एक महिला के बर्बर गैंगरेप और हत्या के बाद भारत में यौन हिंसा के प्रति रवैये के बारे में बहस छिड़ी हुई थी. आलोचकों ने जेंडर असमानता और स्त्री-द्वेष पर कहानियां करने वाले तहलका पर पाखंडी होने और दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया. महिला समूहों और एबीवीपी, बीजेपी युवा मोर्चा के सदस्यों ने तरुण तेजपाल के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया. उन्हें 30 नवंबर 2013 को गिरफ़्तार कर लिया गया था और सात महीने बाद जुलाई में जेल से रिहा कर दिया गया. बाद में वो अपने ख़िलाफ़ लगे आरोपों को खारिज कराने के लिए गोवा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन कामयाब नहीं हो सके.