जेआईसीए ने ग्रह को बहाल करने की दिशा में प्रतिबद्धता साझा की।

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इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘इकोसिस्टम रेस्टोरेशन’ इस बात की प्रतिध्वनि है कि यह उचित समय है कि मनुष्य अपने पर्यावरण को पुनर्जीवित करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए), अपनी समर्थित परियोजनाओं के माध्यम से, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर अंकुश लगाकर सकारात्मक बदलाव में योगदान देना जारी रखना चाहती है, स्वच्छ ऊर्जा, परिवहन और बुनियादी ढांचे में सक्रिय रूप से निवेश करना और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल समाज कुछ ऐसे उपाय हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के दिशा में योगदान कर सकते हैं। जेआईसीए ने भारतीय शहरों में मेट्रो विकास परियोजनाओं के लिए १.३ ट्रिलियन जापानी येन (लगभग ८७,००० करोड़ रुपये) का निवेश किया है, जो प्रति वर्ष लगभग १.६ मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस को कम करने में योगदान करने वाले हैं। अक्षय ऊर्जा प्रणालियों के निर्माण में जापान की क्षमता भारत के विकास को एक सतत और ऊर्जा कुशल तरीके से सहायता कर रही है, गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्रदूषण को कम कर रही है। पर्यावरण को ठीक करने के लिए वन, वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण महत्वपूर्ण है और जेआईसीए १९९१ से भारत के वन क्षेत्र का समर्थन कर रहा है। जेआईसीए परियोजनाओं द्वारा वित्त पोषित वनीकरण प्रयासों का कुल क्षेत्रफल लगभग ३ मिलियन हेक्टेयर है। हाल ही में जेआईसीए समर्थित ‘मेघालय राज्य में समुदाय आधारित वन प्रबंधन और आजीविका सुधार के लिए परियोजना’ “ग्रीन इंडिया मिशन” के उद्देश्य को प्राप्त करने में योगदान देता है।