कोरोना महामारी के बीच पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर से एक दिल को छूने वाले मामला सामने आया है। एक परिवार में दो वर्ष पहले पिता का निधन हो गया। माँ जेहरुन की मृत्यु लगभग चालीस दिन पहले हुई। माता पिता के जाने के बाद उनके तीन बच्चे कुद्दुस आलम, कश्मीरा और रौनक अचानक अनाथ हो गए हैं। फिलहाल पड़ोसी व आस पास के लोग उनकी देखभाल कर रहे हैं। लेकिन इन तीन बच्चों का आगे का रास्ता अनिश्चित दिख रहा है। पडोसी एवं गांव के लोग इस बात से परेशान हैं की आगे इन बच्चों का क्या होगा। ये मासूम बच्चे कहाँ रहेंगे है? क्या खाएंगे? इनकी पढ़ाई लिखाई कैसे होगी। एक ग्रामीण ने बताया कि इन बच्चों के पिता की काफी समय पहले बीमारी से मौत हो गई थी। बड़ा बेटा मदरसे में पढ़ने जाता है। लेकिन बच्चा शारीरिक रूप से दिव्यांग है वह पांच से छह साल का होगा। इसके अलावा दो बेटियां हैं। एक बच्ची की उम्र चार से पांच साल और दूसरी बच्ची की उम्र दो से तीन साल होगी। फिलहाल ये बच्चें रात में अपने बगल वाले चाचा के घर चले जाते हैं । लेकिन उस मामा की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है.ऐसे में उनकी मांग है कि इन बच्चों को कहीं रखने की व्यवस्था की जाए. इन बच्चों को भी आम बच्चों की तरह जिंदगी जीने का अवसर मिलना चाहिए। ताकि वे भी इस दुनिया में अपनी मंजिल को पा सके। इन बच्चों के मामा ने स्थानीय मुखिया से बात की जिससे इन बच्चों को किसी अनाथालाय में दाखिल कराया जा सके। दूसरी ओर गांव के लोग चाहते हैं कि प्रशासन व सरकार इन अनाथ बच्चों के लिए मदद का हाथ बढ़ाएं। वहीँ माटीकुंडा ग्राम पंचायत के प्रधान महबूब आलम ने कहा कि उन्हें ईद से तीन या चार दिन पहले बच्चों के मामा के माध्यम से इस बारे में खबर मिली। इसके साथ ही उन्होंने पंचायत द्वारा इन बच्चों को हर तरह से सहायता प्रदान करने की बात कही।