स्वास्थ्य साथी के लिए नया दर तय करेगी ममता सरकार

विधानसभा चुनाव से पहले स्वास्थ्य बीमा से संबंधित महत्वकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना “स्वास्थ्य साथी” के संबंध में गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि इस योजना के तहत लोगों के इलाज के लिए अस्पतालों को आवंटित धनराशि के दर के बारे में नए सिरे से निर्णय लिया जाएगा। गुरुवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री मीडिया से मुखातिब थीं। राजधानी कोलकाता समेत राज्य के अन्य हिस्सों में विभिन्न अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्य साथी कार्ड धारक लोगों को इलाज से इनकार करने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य साथी योजना के तहत जो चिकित्सा दर है उसमें कुछ बदलाव किया जाएगा। अस्पतालों और साधारण लोगों किसी को भी कोई असुविधा ना हो इस तरह के दर तय किए जाएंगे। मुख्य सचिव अलापन बनर्जी ने बताया कि सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम को स्वास्थ्य साथी योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नया दर तय करने के लिए जल्द ही एक कमेटी का गठन राज्य सरकार करेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 2016 में उन्होंने महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य साथी परियोजना की शुरुआत की थी, तब बड़ी संख्या में लोग इसके तहत सूचीबद्ध हुए थे। लेकिन उस समय इलाज का दर अलग था। किडनी की चिकित्सा के लिए अलग दर था और अन्य रोगों की चिकित्सा के लिए कुछ अलग। लेकिन अब 10 करोड़ लोग इस महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध किए जा रहे हैं। इसलिए दर बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस तरह का दर रखा जाएगा ताकि नर्सिंग होम और आम लोग दोनों को सुविधाएं हो। सीएम ने कहा कि अगले 3 से 4 दिनों के अंदर नई कमेटी का गठन कर दिया जाएगा ताकि नया दर तय हो सके। इसमें स्वास्थ्य सचिव, मुख्य सचिव, गृह सचिव व वित्त सचिव को रखा जाएगा। ये सारे लोग अस्पताल और नर्सिंग होम के अधिकारियों के साथ बात करेंगे। सीएम ने यह भी कह दिया कि स्वास्थ्य शादी कार्ड पर पुराने दर के मुताबिक चिकित्सा फिलहाल नहीं मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य साथी योजना के तहत सरकार को प्रति परिवार पांच लाख खर्च करना पड़ रहा है। ढाई हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च राज्य सरकार बहन कर रही है। उन्होंने कहा कि 100 मामलों में से किसी एक मामले में अगर इस कार्ड के जरिए इलाज नहीं मिल रहा है तो इसे विवाद का केंद्र बिंदु बनाया जा रहा है। 10 हजार में एक गलती हो ही सकती है।

By Editor

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