बिहार में अवैध शराब कारोबारियों ने पुलिस की नाक में दम कर रखा है. बिहटा सोन नदी के बीच स्थित एक टापू में शराब कारोबारियों ने अपनी फैक्ट्री लगा रखी थी. टापू चारों तरफ से पानी से घिरा है. साथ उसमें ऊंची-ऊंची घास उगी है. इसलिए दूर से कुछ भी नहीं दिखता. पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए नाव लेकर जाती तो उन्हें पता चल जाता. इसलिए पुलिस ने अपनाया दूसरा तरीका.
पुलिस को वर्दी उतारकर नदी में उतरना पड़ा. पटना पुलिस कच्छा-बनियान पहनकर टापू तक पहुंची लेकिन शराब कारोबारी उनके हाथ नहीं आ रहे हैं. हालांकि अवैध शराब की फैक्ट्री तोड़ दी गई. ये मामला बिहटा थाना क्षेत्र के तारेगना टोक का है. यहां हर हफ्ते बिहटा पुलिस अवैध शराब के खिलाफ छापेमारी करती है लेकिन पुलिस जैसे ही उनकी अवैध भट्टियों को तोड़कर जाती है.
शराब के कारोबारी फिर से उसी जगह भट्टी लगाकर शराब बनाना शुरू कर देते हैं. जिस पुलिस की पहचान वर्दी से होती है, वही पुलिस सोन नदी में वर्दी को हाथ में लिए कच्छे बनियान में नजर आ रही है.
दरअसल, सोन नदी के तटीय गांवों में पुलिस की लगातार छापेमारी के बाद भी अवैध शराब का धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. खासकर सोन नदी के बीचोबीच स्थित तारेगना टोक जगह कारोबारियों के लिए सेफ जोन है. वहां जाने का रास्ता आसान नहीं है.
पटना पुलिस के पास न तो पर्याप्त संख्या है, न ही संसाधन. बिना नाव के पुलिस किसी तरह इन अवैध शराब कारोबारियों को पकड़ने पहुंचती है लेकिन उसके पहले कारोबारी फरार हो जाते हैं. नतीजा पुलिस के हाथ कच्ची शराब ही लगती है.
रविवार को भी पुलिस ने तारेगना में छापेमारी की और सैकड़ों लीटर अवैध देसी शराब को नदी में बहा दिया. वहीं शराब बनाने वाले उपकरण को नष्ट कर दिया. जानकारी के मुताबिक पुलिस टीम जिस जगह छापेमारी के लिए पहुंची थी वह इलाका चारों तरफ से नदी से घिरा है.
बीच में सोन नदी पड़ती है. उसी नदी को पार करने में पुलिस को अपनी वर्दी उतारनी पड़ी. जरूरी है कि पुलिस मुख्यालय अवैध शराब कारोबारियों पर कार्रवाई के लिए पहले संसाधन की व्यवस्था करे तब जाकर कहीं शराबबंदी बिहार में सफल हो पाएगी.
पुलिस द्वारा इस तरह से जान जोखिम में डालकर अवैध शराब कारोबारियों को पकड़ने जाने के लिए नदी में उतरने की बात की बिहार में हर तरफ चर्चा है।