कृषि कानून के खिलाफ देशभर में किसानों का आंदोलन चल रहा है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किये जाने की मांग में किसान पिछले 2 महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में पत्ता गोभी के किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है इससे परेशान होकर ये किसान अपने खेत में लगे पत्ता गोभी को बकरी व गायों को खिला रहे हैं। मनुष्य के भोजन के ये सामन अब गाय व बकरी की खाद्य सामग्री बन गयी है। इन किसानों ने बताया कि 200 से 300 रूपये किराए पर गाडी से पत्ता गोभी को हाट व बाजार ले जाने के बाद उन्हें इसका उचित दाम नहीं मिल रहा है। गाडी का किराया भी नहीं उठ रहा है ,मजबूरन उन्हें अपने खेत में ही फसलों को नष्ट करना पड़ रहा है ,गाय – बकरी को अपनी फसल खिलानी पड़ रही है. जलपाईगुड़ी जिले में तीस्ता नदी के किनारे बड़े पैमाने पर यह नजारा इन दिनों देखने को मिल रहा है। गौरतलब है कि तीस्ता नदी के किनारे विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाई जाती है। ठंड के मौसम में यहां व्यापक परिमाण में पत्ता गोभी की सब्जी उगाई जाती है। पर इस वर्ष किसानों को अपनी फसल का लागत मूल्य भी नहीं उठ रहा है। 1 से दो किलो साइज का पत्ता गोभी थोक मंडी में दो रुपये में भी नहीं बिक रहा है, जिससे किसान काफी परेशान हैं और अपनी सब्जियों को बाजार ले जाने के बजाय खेत में ही मवेशियों को खिला रहे हैं। इलाके के एक किसान बप्पा माझी ने बताया कि उन्होंने 40000 रुपये कर्जा लेकर पत्ता गोभी की खेती की थी। उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है ,जिससे वह काफी चिंतित और परेशान है। उन्होंने बताया कि उनका पूरा 40000 रूपये खेती में डूब गया। कैसे वे अपने महाजन को ये पैसे लौटाएंगे यह सोचकर परेशान है। केवल बाप्पा माझी ही नहीं सैकड़ों किसानों की लगभग यही अवस्था है। इस बारे में जलपाईगुड़ी के डिप्टी डायरेक्टर आफ एग्रीकल्चर असीम चक्रवर्ती ने बताया कि सब्जी की खेती को लेकर इस वर्ष काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जिले के कुछ सब्जियों को स्टॉक करने पर विचार किया जा रहा है.