मालदा के वैज्ञानिक अतनु झा ने एक विशेष प्रकार की रुई का ईजाद किया है जो समुद्र में मिले तेल को अवशोषित कर इसे प्रदूषण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मालदा के सनी पार्क क्षेत्र के रहने वाले अतनु झा मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के अनुभवी वैज्ञानिक शुवेंदु राय चौधरी सहायक के रूप में नियुक्त है। वैज्ञानिक शुवेंदु राय चौधुरी के सहयोग से मालदा के इस लड़के ने समुद्र प्रदूषण के रोकने के असंभव कार्य को संभव बना दिया है। उनकी इस उपलब्धि से उनके परिवार के साथ साथ पूरा मालदा शहरफक्र महसूस कर रहा है। मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के एक अनुभवी वैज्ञानिक शुवेंदु रॉय चौधरी ने तेल को अवशोषित करके समुद्र को बचाने के लिए एक विशेष प्रकार के कपास अर्थात रुई की खोज की है। मालदा के सनी पार्क इलाके के युवा वैज्ञानिक अतनु झा ने उनके योग्य सहयोगी के रूप में काम किया है। मालदा के इस वैज्ञानिक की अभिनाव खोज से पर्यावरणविद काफी खुश हैं।
कहने की जरूरत नहीं है कि तेल के जहाज अक्सर समुद्र में डूब जाते हैं, कल कारखाने के हानिकारक तेल या तेल सरीखे द्रव्य समुद्र में मिलकर इसे दूषित बनाता है। इन सबसे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है। समुद्री जानवर खतरे में आ जाते हैं। इसलिए दुनिया के पर्यावरणविद और शोधकर्ता इस समुद्री जल प्रदूषण से निजात पाने के लिए बेताब हैं। अलग-अलग समय पर उन्होंने इस प्रदूषण से छुटकारा पाने का तरीका खोजने की कोशिश की है। इस बारे में युवा वैज्ञानिक अतनु झा ने कहा कि सामान्य रुई के संशोधन से एक विशेष प्रकार की रुई तैयार की जाती है । कैसे काम करेगी यह रुई ? यह खोज इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? वैज्ञानिक अतनु झा ने कहा कि यह विशेष प्रकार की रुई पानी में मिश्रित तेल को शुद्ध करने में सक्षम है। हालांकि, केवल तेल ही नहीं, वे विभिन्न तैलीय पदार्थों जैसे बेंजीन, हेक्सिन क्लोरोफॉर्म आदि को भी अवशोषित कर सकती है। 2 किलो रुई एक बार में 25 किलो तक तेल सोख सकती है। इन्हें अनुसंधान केंद्र द्वारा कई बार उपयोग किया जा सकता है। इन्हें 2018 में पेटेंट कराया गया था। 2020 में इसेमंजूरी दी गई । भारत के वैज्ञानिकों का मानना है कि विशेष प्रकार की यह रुई भविष्य में समुद्री प्रदूषण को रोकने में प्रभावी भूमिका निभाएगी।